टीबी उन्मूलन कार्य़क्रम में सामाजिक संस्था ने भी कसी कमर

-केएचपीटी के साथ बुनकर एसोसिएशन ने भी मिलाया कंधा
-नाथनगर के चंपानगर में लोगों को टीबी के प्रति किया जागरूक

भागलपुर, 14 नवंबर-

टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने में स्वास्थ्य विभाग के साथ कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) जैसी सहयोगी संस्था तो काम कर ही रही है। अब सामाजिक संस्था भी इस काम में खुलकर सहयोग कर रही है। सोमवार को नाथनगर प्रखंड स्थित चंपानगर में केएचपीटी के फैयाज खान और बुनकर एसोसिएशन के सचिव अशफाक अंसारी के सहयोग से टीबी के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम और केएचपीटी के ब्रेकिंग द बैरियर प्रोजेक्ट के तहत एक टोटो में बैनर और लाउडस्पीकर लगाकर क्षेत्र में घुमाया गया। लाउडस्पीकर के जरिये लोगों को टीबी से बचाव की जानकारी दी गई। टोटो के जरिये कछारी, सिलाटर, कसबा, हसनाबाद, सरदारपुर, तांति बाजार रोड, चंपानाला चौक होते हुए चंपानगर वार्ड नंबर-3 और जामा मस्जिद तक के लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान 885 लोगों से संपर्क किया गया, जिनमें 534 लोगों की स्क्रीनिंग की गई। इनमें पांच लोग टीबी के संभावित मरीज निकले, जिन्हें जांच के लिए नाथनगर रेफरल अस्पताल भेज दिया गया।
सरकारी अस्पताल में इलाज की व्यवस्था बिल्कुल मुफ्तः केएचपीटी की जिला टीम लीडर आरती झा ने बताया कि टीबी उन्मूलन को लेकर हमलोग लगातार कार्य़क्रम कर रहे हैं। इसी सिलसिले में सोमवार को नाथनगर के चंपानगर क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। इस दौरान लोगों को टीबी के लक्षण और उससे बचाव की जानकारी दी गई। साथ ही टीबी के इलाज के बारे में भी बताया गया। लोगों को जानकारी दी गई कि टीबी का इलाज सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त में होता है और दवा भी अस्पताल की तरफ से ही मिलती है। इसके अलावा जब तक इलाज चलता है, तब तक पांच सौ रुपये प्रतिमाह राशि भी सरकारी की तरफ से पौष्टिक आहार के लिए दी जाती है। इसलिए अगर किसी को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, बलगम के साथ खून आएं, शाम के वक्त अधिक पसीना आए या फिर बार-बार बुखार आए तो सरकारी अस्पताल जाएं और जांच करवाएं। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो तत्काल इलाज शुरू करवाएं।
घनी आबादी वाले इलाकों पर फोकसः आरती झा ने बताया कि हमलोगों ने घनी आबादी वाले इलाकों पर ज्यादा फोकस करने की योजना बनाई है। दरअसल, घनी आबादी वाले इलाकों में गरीबी अधिक होती और उन्हें सही पोषण नहीं मिल पाता है। इसलिए टीबी के मरीज भी इन इलाकों में अन्य इलाकों के मुकाबले ज्यादा पाए जाते हैं। इन्ही लोगों को अधिक-से-अधिक जागरूक करने की हमलोगों ने योजना बनाई है। अच्छी बात यह है कि इसमें सामाजिक संस्था भी सहयोग कर रही है। सामाजिक संस्थाओं की समाज पर अच्छी पकड़ होती है, इसलिए उनकी बातों पर लोग जल्द अमल करते। हमलोगों को उम्मीद है कि इस तरह के कार्य़क्रम से जिले को टीबी मुक्त बनाने में मदद मिलेगी।

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