-गर्भवती महिलाओं की प्रसव से पहले चार बार होती है एएनसी जांच
-चारों ही जांच महत्वपूर्ण, नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर कराए
बांका-
हर महीने की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व एएनसी जांच होती है। यह जांच प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर आयोजित कर की जाती है। इस योजना के तहत आशा कार्यकर्ता क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए एएनसी जांच कराने के लिए नजदीकी सरकारी अस्पताल लेकर आती हैं। शुक्रवार को भी काफी संख्या में गर्भवती महिलाओं ने प्रसव पूर्व जांच करवाई। अमरपुर रेफरल अस्पताल में 468 गर्भवती महिलाओं ने जांच करवाई। सभी गर्भवती महिला को जांच के बाद आवश्यक परामर्श दिया गया। इसमें रहन-सहन, साफ-सफाई, खान-पान, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों समेत अन्य तरह की सलाह दी गई।
अमरपुर रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच जरूरी होती है। इससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ भी रहता है। आमतौर पर प्रसव के पहले चार तरह की एएनसी जांच होती है। पहली जांच गर्भधारण के 12वें सप्ताह तक, दूसरी जांच 14वें से 26वें सप्ताह तक, तीसरी 28वें से 32वें सप्ताह तक और अंतिम जांच 34वें से प्रसव होने से पहले तक करा लेनी चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को जो भी सलाह मिलती है, उसका पालन करना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं पौष्टिक आहार का करें सेवनः डॉ. चौधरी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। दूध, दही, मांस, मछली, हरी सब्जियों के साथ-साथ मौसमी फल का नियमित तौर पर सेवन करना चाहिए। जो महिलाएं मांसाहार का सेवन नहीं करती हैं उन्हें हरी सब्जियों के साथ मौसमी फल और दूध-दही का लगातार सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ उसके गर्भस्थ बच्चों के भी पोषण की पूर्ति होगी।
किसी भी तरह की परेशानी होने पर तत्काल डॉक्टर से करें संपर्कः डॉ. चौधरी ने बताया कि प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जांच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता है। शुरुआती दौर में पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए सरकार द्वारा प्रत्येक माह की नौ तारीख को पीएचसी स्तर पर एएनसी जांच की व्यवस्था की गई है, ताकि प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़े और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिल सके। इसलिए, सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच कराना जरूरी है।