आपातकालीन बंदियों का सम्मान समारोह

भाजपा दिल्ली ने किया आपातकालीन बंदियों का सम्मान समारोह

तरंंग: नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश कार्यालय पर आज आपातकाल बन्दी स्मरण समिति द्वारा देश के लोकतंत्र पर हुये हमले के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 को लगाये गये आपातकाल की याद में भाजपा की ओर से सम्मान समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी, दिल्ली प्रभारी श्री श्याम जाजू, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री विजय गोयल एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने सम्बोधित किया। आपतकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) के तहत कांग्रेस की सरकार के खिलाफ बोलने वाले सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। आपातकाल में भाषा एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को देश के लोगों से जबरदस्ती छीन लिया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महेश चन्द शर्मा ने की। इस अवसर पर संगठन महामंत्री श्री सिद्धार्थन, महामंत्री श्री कुलजीत सिंह चहल, श्री रविन्द्र गुप्ता एवं श्री राजेश भाटिया, उपाध्यक्ष श्री जय प्रकाश, श्री राजीव बब्बर, पूर्व विधायक श्री मेवाराम आर्य, आपातकाल बंदी डाॅ. वेदव्यास महाजन सहित अन्य आपातकाल बंदी के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्मिलित हुये।

 

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राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं दिल्ली प्रभारी श्री श्याम जाजू ने कहा कि आपातकाल के दौरान जेलों के अन्दर लोगों को जितनी यातनाएं दी जाती थी उसके बारें में आज की पीढ़ी को नहीं पता है। आज भाजपा की 18 राज्यों में सरकार है। भाजपा का नारा सबका साथ सबका विकास व सबका विश्वास है। इस पार्टी का बल्ड ग्रुप राष्ट्रवादी विचारधारा है। राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ हम आगे बढ़ रहे है जिसमें जनता का अपार जनसमर्थन हमें मिल रहा है। संघ की विचारधारा के लोग सबसे अधिक जेलों में गये सबसे ज्यादा मीसा एक्ट लगाकर उन्हें जेल में बन्द किया गया। आने वाली पीढ़ीयों को हम सभी को इसी त्याग व तपस्या के बारे में बताना है। केन्द्र सरकार आपातकाल के बंदियों की एक सूची बना रही है उनके बैकग्राउण्ड सहित उनकी तमाम जानकारी को लाईब्रेरी में रखा जायेगा जिससे आने वाली पीढ़ी उनके त्याग को जान सकें।

उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुये श्री मनोज तिवारी ने कहा कि आज 25 जून भारत के लोकतंत्र में काला दिवस के रूप में मनाया जाता है। कांग्रेस को आपातकाल का कोई पछतावा तो दूर इस संदर्भ में वह चर्चा भी नहीं करना चाहते। कई वर्षों से आपातकाल को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं लेकिन आज की युवा पीढ़ी आपातकाल से अनभिज्ञ है जिसे इसका इतिहास बताना हम सबकी जिम्मेदारी है। हम अपने इतिहास को याद रखेंगे तभी आने वाली पीढ़ियों को उसके बारे में बता सकते हैं। आपातकाल ऐसा शब्द है जिसका छोटा रूप दिल्ली में देखने को मिल रहा है। दिल्ली में पानी का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, दिल्ली प्रदूषण में नम्बर एक बन गई है लेकिन दिल्ली सरकार इसे हल करने के लिये गंभीर नहीं है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री विजय गोयल ने कहा कि सही मायने में हम सभी को आपातकाल के बारे में पता नहीं है। सम्पूर्ण क्रांति के रूप में आपातकाल का अध्याय जाना जाता है जो कि कांग्रेस की स्वार्थ प्रेरित राजनीति को स्पष्ट करता है। आपातकाल में सत्याग्रह किया गया और एक बड़ा आन्दोलन जय प्रकाश के नेतृत्व में हुआ जिसने इंदिरा सरकार की जड़ो को हिला दिया। यातनाएं सहते हुये लोगों ने कांग्रेस की विचाराधारा के खिलाफ संघर्ष किया और उनकी दमनकारी नीतियो का विरोध भी किया है। लोकतंत्र की हत्या हुई आपातकाल में, पत्रकारिता की सेंसरशिप कर सरकार के खिलाफ लिखने पर रोक लगा दी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जो आपातकाल लगाया था उसका हमारें संविधान में कोई प्रावधान नहीं था। अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरूपयोग कर कांग्रेस ने देश के लोगो पर अत्याचार किया है।

प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि आज आपतकाल के बारे में मीडिया के माध्यम से बताया जा रहा है। आपतकाल के दौरान बहुत बड़ा आन्दोलन लड़ा गया था। लोगों ने सत्याग्रह किया कांग्रेस की सरकार के खिलाफ लेकिन इंदिरा सरकार ने डीआईआर और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम( मीसा ) लगाकर लोगों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। देश में आपतकाल के दौरान कई परिवारों ने वो दर्द झेला है जिसे बंया करना बहुत ही मुश्किल है। डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी ने मीसा का संसद में विरोध किया तब सत्ता पक्ष ने कहा कि इसका इस्तेमाल पाकिस्तान की तरफ से हो रहे आंतकी गतिविधियों को रोकने के लिए किया जायेगा लेकिन डॉ मुखर्जी ने कहा कि इसका इस्तेमाल सबसे पहले विपक्ष पर किया जायेगा और वैसा ही हुआ। लोकतंत्र के इतिहास में काला अध्याय आपतकाल में संघर्ष करने वालों को भी स्वतंत्रता सेनानियों की तरह तमाम सुविधाएं दी जानी चाहिए और वो सही मायने में इसके हकदार है।

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