-अपने नवजात को सर्दी से रखें दूर
-बच्चों के लिए जरूरी है न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन
-छोटे बच्चों को जरूर कराये स्तनपान, प्रदूषण से भी बचाना जरूरी
लखीसराय-
सर्दी के मौसम में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। खासकर भारत में बच्चे निमोनिया का शिकार सबसे ज्यादा होते हैं। .. देश में 2030 तक 17 लाख से अधिक बच्चों की निमोनिया संक्रमण और मौत का खतरा है। . स्वास्थ्य एक्सपर्ट का कहना है की सर्दी के मौसम में निमोनिया का खतरा अधिक देखा जाता है। .
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह अपर मुख्य चिकित्सा-पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार भारती ने बताया निमोनिया, दो तरह की बैक्ट्रीरिया स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया एवं हीमोफीलियस इंफ्लूएंजा टाइप टू से होता है। . बच्चों के लिए सबसे बड़ी जानलेवा संक्रामक बीमारी है। . बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है। . बच्चों को न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी का टीका दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। . प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है। .
जानिये क्या है निमोनिया
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। . बैक्टीरिया, वायरस या फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। . आमतौर पर निमोनिया बुखार या जुकाम होने के बाद होता है। यह 10-12 दिन में ठीक हो जाता है। . लेकिन कई बार यह खतरनाक होता है.। खासकर 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इस लिए निमोनिया का असर ऐसे लोगों पर जल्द होता है। . निमोनिया होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है। कई बार पानी भी भर जाता है। . ठंड लगने, फेफड़ों पर चोट, प्रदूषण आदि के कारण निमोनिया होता है। . यदि किसी को निमोनिया होता है तो उसे और अन्य तरह की बीमारियां जैसे खसरा, चिकनपॉक्स, टीबी, एड्स, अस्थमा, डायबिटीज, कैंसर और दिल के रोगियों को निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है ।
इन लक्षणों से निमोनिया की करें पहचान:
• तेज बुखार होना
• खांसी के साथ हरा या भूरा गाढ़ा बलगम आना
• सांस लेने में दिक्कत होना
• दांत किटकिटाना
• दिल की धड़कन बढ़ना
• सांस की रफ्तार अधिक होना
• उलटी
• दस्त
• भूख की कमी
• होंठों का नीला पड़ना
• कमजोरी या बेहोशी छाना
संपूर्ण टीकाकरण निमोनिया को करेगा दूर: बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए सबसे जरूरी उसका संपूर्ण टीकाकरण है । छोटी उम्र के सभी बच्चों को समय पर टीके लगावाना जरूरी है। . न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंगजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है। . इसके अलावा, डिप्थीरिया, काली खांसी और एचआईवी के इंजेक्शन भी निमोनिया से बचाव करते हैं.। निमोनिया को दूर रखने के लिए व्यक्तिगत साफ-सफाई जरूरी है। . छींकते-खांसते समय मुंह और नाक को ढक लें। . समय-समय पर बच्चे का हाथ भी जरूर धोना चाहिए। . बच्चों को प्रदूषण से बचायें और सांस संबंधी समस्या न रहें इसके लिए उन्हें धूल-मिट्टी व धूम्रपान करने वाली जगहों से दूर रखें। . बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त पोषण दें.। बच्चा छह महीने से कम का है, तो नियमित रूप से स्तनपान कराएं। . स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है। .भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।