सदर अस्पताल में परिवार नियोजन को लेकर दिया गया प्रशिक्षण

-मंगलवार को शुरू हुआ चार दिवसीय प्रशिक्षण का शुक्रवार को हुआ समापन
-अस्थायी सामग्री का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को जागरूक करने पर बल

भागलपुर, 6 जनवरी-

सदर अस्पताल स्थित क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा के कार्यालय में परिवार नियोजन को लेकर चल रहे चार दिवसीय प्रशिक्षण का शुक्रवार को समापन हो गया। प्रशिक्षण की शुरुआत मंगलवार को हुई थी। प्रशिक्षण में भागलपुर और बांका जिले के सभी सीएचओ शामिल हुए। इन्हें दो भागों में प्रशिक्षण दिया गया। आधे लोगों को मंगलवार और बुधवार को तो बाकी लोगों को गुरुवार और शुक्रवार को प्रशिक्षण दिया गया। आखिरी दिन प्रशिक्षण देने का काम मायागंज अस्पताल की डॉ. शिल्पी रानी, जपाइगो के लिजिल वर्गीज और केयर इंडिया के आलोक कुमार ने किया। इस मौके पर क्षेत्रीय निदेशक स्वास्थ्य सेवा डॉ. अजय कुमार सिंह, आरपीएम रूपनारायण शर्मा, राहुल कुमार, राजीव कुमार सिंह, आरिफ हुसैन समेत कई स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे। सभी को परिवार नियोजन की सामग्री मंगवाने के लिए इंटेंड करने से लेकर रिकॉर्ड रजिस्टर के बारे में बताया गया। साथ ही परिवार नियोजन के उपायों के बारे में भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के दौरान यह भी बताया गया कि लाभार्थी को कॉपर टी, अंतरा और छाया का इस्तेमाल कब करना है। कितने दिनों के अंतराल पर। कब गोली लेनी है और कब इंजेक्शन। सीएचओ को जो भी बारीकियां सिखाईं गई, उसे ग्रामीण स्तर पर लागू करने के लिए कहा गया।
परिवार नियोजन के साधन का करें इस्तेमालः डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि छोटा और सुखी परिवार रखने के लिए परिवार नियोजन के साधन को अपनाने की बहुत ही जरूरत है। इसमें सरकार की तरफ से छाया, अंतरा, कॉपर-टी, कंडोम इत्यादि अस्थायी सामग्री का लगातार वितरण किया जाता है। परिवार नियोजन में इसका इस्तेमाल काफी मददगार साबित होता है। लोगों को इसके इस्तेमाल से नहीं हिचकिचाना चाहिए। इससे किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। अगर कोई परेशानी आए भी तो ज्यादा चिंता की बात नहीं है। बहुत जल्द उससे छुटकारा मिल जाता है। किसी तरह की परेशानी होने पर तत्काल सरकारी स्वास्थ्यकर्मी से संपर्क करना चाहिए। इसके बाद कोई परेशानी नहीं रहेगी। इसलिए सीएचओ को प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि ग्रामीण स्तर पर लोगों को अस्थायी सामग्री के इस्तेमाल के लिए जागरूक करें।
दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल जरूरीः प्रशिक्षण दे रहीं डॉ. शिल्पी रानी ने बताया कि दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल रखना जरूरी है। इसके साथ पहला बच्चा 20 साल के बाद ही पैदा करना चाहिए। इन शर्तों को पूरा करने के लोगों को परिवार नियोजन की अस्थायी सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल रहता है तो जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहता है। साथ ही बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जिससे वह भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचा रहता है। अगर बच्चा बीमार भी पड़ जाता है तो उसकी रोग प्रतिरक्षक क्षमता मजबूत होने की वजह से वह उससे जल्द उबर जाता है। इसलिए लोगों को इन शर्तों का पालन करना चाहिए। इसके लिए परिवार नियोजन की सामग्री का इस्तेमाल बहुत ही सहायक होता है। इन बातों की जानकारी प्रशिक्षण के दौरान सभी सीएचओ को दी गई।

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