कटु सत्य : नारी तु ही नारायणी

जन्म से पहले से ही पुरुष को हमेशा एक स्त्री का साथ चाहिए।
फिर वो चाहे मन्दिर हो या संसार।

सबसे पहले परम पूजनीय मां

मंदिर में कृष्ण के साथ *रुक्मिणी*
राम के साथ  *सीता*
शंकर के साथ  *पार्वती*

सुबह से रात तक मनुष्य को
अपने हर काम में
*एक स्त्री की*
आवश्यकता होती ही है।

पढ़ते समय  *विद्या*
फिर जीवन यापन हेतु *लक्ष्मी*
और अंत में  *शाँति*
दिन की शुरुआत  *ऊषा* के साथ,
दिन की समाप्ति  *संध्या* से होती है.
किन्तु काम तो  *अन्नपूर्णा* के
लिये ही करना है।

रात यानी  *निशा* के समय भी
*निंदिया रानी*
सोने के बाद  *सपना*

मंत्रोच्चार के लिये  *गायत्री*
ग्रंथ पढ़ें तो  *गीता*

मंदिर में भगवान के सामने
*वंदना, पूजा, अर्चना*
*आरती, आराधना*
और ये सब भी
केवल  *श्रद्धा* के साथ।

अंधेरा हो तो  *ज्योति*

अकेलापन लग रहा हो तो
*प्रेमवती* एवं *स्नेहा*

लड़ाई लड़ने जायें तो
*जया* और *विजया*

बुढ़ापे में  *करुणा* वो भी  *ममता* के साथ।

गुस्सा आ जाए, तब  *क्षमा*

इसीलिए तो धन्य है  स्त्री जाति
जिसके बगैर पुरुष सदैव  अधूरा है।

मां तुम्हे प्रणाम, नारी शक्ति को प्रणाम।

नारी तुम ही नारायणी हो।

 

गुरुजी भू

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