शनिवार की दोपहर दिल्ली के एस्कॉर्ट्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। शीला दीक्षित 81 वर्ष की थीं और वर्तमान में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाल रहीं थी। शीला दीक्षित लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं थी और 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया था। हालांकि कुछ समय बाद ही उन्होंने राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हो गईं थी।
पंजाब के कपूरथला में हुआ था जन्म
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। हाल ही में 2019 के लोकसभा चुनाव में वो दिल्ली की उत्तर-पूर्व दिल्ली सीट से चुनाव लड़ीं थी। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर भी शीला दीक्षित काफी सुर्खियों में रहीं।
दरअसल कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चाहते थे कि आम आदमी पार्टी से उनकी पार्टी गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़े, जबकि शीला दीक्षित ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने की बात कही और आखिर में उनकी बात मानते हुए तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने गठबंधन करने से इंकार कर दिया।
पीएम मोदी ने प्रकट किया शोक
शीला दीक्षित के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक जाहिर किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘शीला दीक्षित जी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक ऊर्जावान और मिलनसार व्यक्तित्व के साथ उन्होंने दिल्ली के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।’
वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा, ‘दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और एक वरिष्ठ राजनीतिक हस्ती श्रीमती शीला दीक्षित के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ।
सीएम रहते हुए उनका कार्यकाल राजधानी के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन का काल था, जिसके लिए उन्हें याद किया जाएगा। उनके परिवार और सहयोगियों के प्रति संवेदना।’
नियुक्तियों पर हुआ था विवाद
हाल ही में शीला दीक्षित ने एक बड़ा फैसला लेते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी में तीन कार्यकारी अध्यक्षों को नई जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसे लेकर पार्टी में विवाद भी हुआ था।
दरअसल शीला दीक्षित ने दिल्ली के तीनों कार्यकारी अध्यक्षों हारुन युसुफ, देवेंद्र यादव और राजेश लिलोथिया को नई जिम्मेदारियां सौंपी थी।
हारुन युसुफ और देवेंद्र यादव को आगामी दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र चुनाव की जिम्मेदारी दी गई। जबकि, राजेश शर्मा को उत्तरी दिल्ली नगर निगम की जिम्मेदारी दी गई है। इस फैसले को लेकर दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको ने आपत्ति भी उठाई थी।