जीविका दीदी क्षेत्र के लोगों को टीबी के प्रति करेंगी जागरूक

-जगदीशपुर के सोनूचक पुरानी पंचायत में पर्सपेक्टिव बिल्डिंग ट्रेनिंग का आयोजन
-स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से केएचपीटी ने जीविका के लिए ट्रेनिंग का किया आयोजन


भागलपुर, 20 मार्च।
जगदीशपुर प्रखंड की सोनूचक पुरानी पंचायत में सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने पर्सपेक्टिव बिल्डिंग ट्रेनिंग का आयोजन किया। इसमें क्षेत्र की 26 जीविका दीदी शामिल हुईं। ट्रेनिंग देने का काम शानू और संदीप ने किया। सत्र की शुरुआत केएचपीटी के परिचय से हुई।

इसके बाद सभी को लोगों को एक साथ जोड़ने, एकता बनाने और ट्रेनिंग के दौरान सुनी गई बातों को लोगों तक पहुंचाने के लिए कहा गया। इसके बाद कहानी के जरिये टीबी से लड़ने के बारे में बताया गया। सभी को टीबी के लक्षण, बचाव और उसके इलाज की जानकारी दी गई। साथ ही इस बीमारी से बचाव को लेकर समाज में क्या किया जा सकता है, इसकी भी जानकारी दी गई। इसके अलावा यह भी बताया गया कि टीबी रोगियों के प्रति संवेदनशील होकर उनकी जरूरत को पूरा करने में मदद करनी चाहिए।

ट्रेनिंग के दौरान जीविका दीदियों को बताया गया कि यहां पर जो भी बातें आपने सुनीं, उसके बारे में क्षेत्र के लोगों को जागरूक करें। इससे टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और समाज से टीबी का प्रकोप खत्म होगा। मौके पर एसटीएस रितिका भी मौजूद थी।
जागरूकता के लिए जीविका दीदी हो सकती हैं बेहतर माध्यमः केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि टीबी को समाप्त करने के लिए इलाज के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर जागरूकता भी बहुत जरूरी है। लोगों में जितनी तेजी से जागरूकता बढ़ेगी उतनी ही तेजी से टीबी बीमारी समाज से खत्म होगी। जीविका दीदियों की समाज पर अच्छी पकड़ है। अधिकतर घरों में उनका आना-जाना है। इसलिए टीबी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए जीविका एक बेहतर माध्यम हो सकती है। इसी उद्देश्य से अंतीचक पंचायत में गुरुवार को जीविका दीदियों की ट्रेनिंग आयोजित की गई। उम्मीद है कि इसका व्यापक असर पड़ेगा। लोग टीबी के प्रति जागरूक होंगे।
टीबी के लक्षण दिखे तो जाएं सरकारी अस्पतालः जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ ने बताया कि केएचपीटी जिले में टीबी उन्मूलन में अच्छा काम कर रही है। इस तरह के आयोजन से टीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी। लोगों में टीबी के प्रति जानकारी बढ़नी बहुत जरूरी है। टीबी का इलाज सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त में होता है।

यदि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, शाम को पसीना आए, लगातार बुखार रहे, बलगम के साथ खून हो इत्यादि लक्षण महसूस हो तो उसे तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल चले जाना चाहिए। वहां जांच करानी चाहिए। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो तत्काल इलाज शुरू कर देना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इलाज तो मुफ्त में होता ही है, साथ में दवा भी बिल्कुल मुफ्त दी जाती है। इसके अलाना जब तक इलाज चलता है, तब तक पांच सौ रुपये प्रतिमाह पौष्टिक आहार के लिए भी मरीजों को दी जाती है।

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