मवेशियों को भी साप्ताहिक छुट्टी देने की बात सुनने में कुछ अजीब सी जरूर लग रही होगी लेकिन यह कोई कहावत नहीं है बल्कि हकीकत है। भारत में और दुनिया के सभी देशों में लोगों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है ताकि वे कुछ रिलेक्स महसूस कर सकें और फिर ताजा स्फूर्ति के साथ काम कर सकें।
भारत के झारखंड में एक क्षेत्र ऐसा भी है जहाँ इंसानों की तरह ही मवेशियों को भी साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है। इस क्षेत्र में 20 गाँव आते हैं जिनमें इस नियम का पालन किया जाता है और यह नियम पिछले 100 वर्षों से चला आ रहा है।
झारखंड के लातेहार जिले के हरखा, मोंगर, परार और ललगड़ी सहित 20 गांवों के लोग रविवार को अपने मवेशियों से काम ही नहीं लेते हैं। इस दिन उन्हें हरी- हरी घासें भी खिलाते हैं।
यहाँ रविवार के दिन मेहनती मवेशियों को चारा खिलाया जाता है उनकी देखभाल तो की जाती है लेकिन उनसे कोई काम नहीं लिया जाता। यहाँ के स्थानीय लोगों का मानना है कि इंसान की तरह जानवरों को भी आराम की जरूरत होती है। इसलिए इन्हें भी एक दिन की छुट्टी दी जाती है।
स्थानीय लोगों के अनुसार 100 साल पहले खेत की जुताई करने के दौरान एक बैल की मौत हो गई थी। तब लोगों का लगा था कि जरूरत से ज्यादा काम लेने की वजह से बैल थक गया था, जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद गांव वालों ने मिलकर फैसला लिया कि अब हफ्ते में एक दिन मवेशियों को आराम करने दिया जाएगा।