हिंडनबर्ग, जेपीसी सब बकवास है, कह कर शरद पवार ने कांग्रेस को फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि गौतम अडानी ने अगर हेराफेरी की है, तो उसकी जांच हो, इस पर किसी को एतराज नहीं होना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि हिंडनबर्ग जैसे विदेशी संस्थाओं की रिपोर्ट की नीयत को समझे-बूझे बिना, उनके हाथों इस्तेमाल होकर देश में तेजी से बन रहे एयरपोर्ट, सड़क, पुल, हाइवे, रेलवे निर्माण की गति को धीमी नहीं होने दी जाए और देश की आर्थिक प्रगति में रोड़ा नहीं बना जाए।
देश के दो नेता नितिन गडकरी और शरद पवार ऐसे नेता हैं, जो जम कर राजनीति करते हैं। राजनीति में बेहद ऊंचाई तक पहुंच रखते हैं। लेकिन राजनीति और समाज-देशहित के काम को अलग-अलग रखते हैं। गडकरी के पास कोई कांग्रेस का नेता भी अपने क्षेत्र के लिए विकास के प्रोजेक्ट लिए आता है तो वे उन्हें उतना ही तवज्जो देते हैं जितना बीजेपी के सांसदों के प्रस्ताव को। यानी गडकरी विकास के कामों में केरल और कर्नाटक में फर्क नहीं करते हैं।
शरद पवार में भी यही अच्छी बात है कि वे फालतू बयानबाजी की राजनीति करके विपक्ष को घेरने का प्रयास नहीं करते हैं। अगर देशहित में कोई बात हो और विकास का कोई कार्य हो तो सिर्फ विपक्षी पार्टी में होकर अड़ंगा डालने की नीति पर नहीं चलते हैं।
शरद पवार ने एक गूगली से राहुल गांधी का विकेट निकाल दिया। बीजेपी स्टेडियम में बैठकर विपक्ष का आपसी मैच देख रही है। शनिवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह दिया कि जेपीसी-वेपीसी बकवास है, इसका कोई लाभ नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच ही करवानी है तो सुप्रीम कोर्ट की समिति ही सही है।
आज ठाकरे ग्रुप को भी पवार ही चला रहे हैं। संजय राउत संदेशवाहक की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस अकेले पड़ते जा रहे हैं। पहले उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी को मालेगांव की रैली में सावरकर के मुद्दे पर धो दिया और अब पवार का कुनबा गौतम अडानी के संग हो लिया। लोग अब राहुल से पूछ रहे- अकेले-अकेले कहां जा रहे हो?