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महाकवि विद्यापति की रचनाएं आज भी प्रासंगिक -मनोज तिवारी

नई दिल्ली-
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष एवं उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि श्री विद्यापति भारतीय साहित्य की शृंगार-परम्परा के साथ-साथ भक्ति-परम्परा के भी प्रमुख स्तंभों में से एक है और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है। इन्हें वैष्णव, शैव और शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में भी स्वीकार किया गया है। श्री मनोज तिवारी ने महाकवि विद्यापति के जन्मदिन पर बुराड़ी में आयोजित एक कार्यक्रम में हजारों लोगों को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
 मनोज तिवारी ने कहा कि भक्ति भाव के अधिष्ठाता और भक्ति परंपरा के आधार स्तंभ महाकवि विद्यापति की रचनाएं आज भी प्रासंगिक है। महाकवि की भक्ति गीत आज भी लोक कंठ में जीवंत है। अपनी भक्तिभाव की पराकाष्ठा से समाहित रचनाओं के जरिये महाकवि ने धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का अलख जगा पूरे विश्व में मिथिलांचल का मान बढाया है विश्व पटल पर महाकवि विद्यापति जी का स्थान कोई नहीं ले सकता है।
इस अवसर पर भाजपा पूर्वांचल मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री मनीष सिंह, पार्षद   कल्पना झा एवं  अनिल त्यागी भाजपा नेता  गोपाल झा, दिवाकर झा, हेमन्त झा,  नीरज पाठक,  बी एन झा,  धीरेन्द्र झा, सहित कई गणमान्य लोग एवं हजारों स्थानीय निवासी उपस्थित थे।

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