फिरोजाबाद महापौर पद के आरक्षण पर हाई कोर्ट में दाखिल याचिका खारिज

फिरोजाबाद।

सामाजिक कार्यकर्ता बसपा नेता सतेन्द्र जैन सौली और सवर्ण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर उपाध्याय ने फिरोजाबाद महापौर पद के आरक्षण को लेकर इलाहाबाद मा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता बसपा नेता सतेन्द्र जैन सौली एवं सवर्ण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर उपाध्याय ने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश शासन की चुनाव नियमावली के अनुसार फिरोजाबाद महापौर पद के आरक्षण को लेकर लखनऊ जाकर शासन में आपत्ति दर्ज कराई थी। जहां हमारी आपत्ति को ना सुना गया ना ही निस्तारण किया गया। उसके बाद में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत अधिकारों का उपयोग करते हुए हमने माननीय हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की वहां भी हमें नहीं सुना गया।

इससे पूर्व सामाजिक कार्यकर्ता बसपा नेता सत्येंद्र जैन सौली एवम सवर्ण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर उपाध्याय ने लखनऊ में फिरोजाबाद महापौर पद आरक्षण को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। उसका निस्तारण न होने के बाद हाईकोर्ट में सरकार द्वारा आपत्ति का निस्तारण किए बिना मनमाने ढंग से नगर निकाय चुनाव कराने पर याचिका दाखिल की है।

शासन की 30 मार्च 2023 एवं 9 अप्रैल 2023 को जारी की गई। अधिसूचना को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि शासन ने नगर निगम चुनाव में 5 दिसंबर 2022 को जो अधिसूचना जारी की थी उसमें फिरोजाबाद नगर निगम महापौर पद को अनारक्षित घोषित किया गया था जो कि चक्रानुसार क्रमानुसार सही था।

दिनांक 30 मार्च 2023 को शासन द्वारा अधिसूचना जारी की गई उसमें फिरोजाबाद नगर निगम महापौर पद को पुनः पिछड़ा वर्ग महिला घोषित किया गया है। जबकि 2017 में भी पिछड़ा वर्ग महिला आरक्षण था यह नगर निगम अधिनियम की धारा 7 (5) का उल्लंघन है और नगर निगम फिरोजाबाद में निवास करने वाली सामान्य वर्ग की बहुसंख्यक आबादी के प्रतिनिधित्व को रोकने वाली है।

याचिका में पिछड़ा वर्ग आयोग के संबंध में हाई कोर्ट के आर्डर को लगाते हुए कहा गया है कि 5 दिसंबर 2022 की अधिसूचना को लेकर माननीय उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में जो प्रकरण चला था उसमें उच्च न्यायालय ने नगर पालिकाओं मैं पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर आदेश दिए थे। उसमें नगर निगम का उल्लेख नहीं है। जबकि नगर निगम एक्ट अलग है। इसलिए नगर निगमों पर यह लागू नहीं होता अतः जो फिरोजाबाद महापौर पद का आरक्षण बदला गया है वह गलत है।

याचिका में कहा गया है कि 4 अगस्त 2014 से पहले जब फिरोजाबाद नगर पालिका थी जब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण था। उसके बाद नगर निगम का दर्जा मिला तो पिछड़ा वर्ग का आरक्षण रहा तो क्रमानुसार सामान्य वर्ग का आरक्षण होना चाहिए था क्योंकि पिछले लगभग15 वर्षों से फिरोजाबाद में सामान्य वर्ग का आरक्षण नहीं रहा है जबकि पिछड़ा वर्ग महिला को दो-दो बार आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता बसपा नेता सत्येंद्र जैन सोली ने कहा कि अप्रत्याशित ढंग से फिरोजाबाद नगर निगम महापौर पद का जो आरक्षण बदला गया है वह सामान्य वर्ग के प्रतिनिधित्व को रोकने की साजिश है वह नहीं चाहते कि शहर में सामान्य वर्ग से भी लोग राजनीति में आगे आए इसलिए ऐसा करने वालों का चेहरा जनता में उजागर होने चाहिए।उन्होंने कहा कि अगर सामान्य वर्ग की सीट होती तो सभी जातियों के लोग चुनाव लड़ने का अवसर पाते

इस अवसर पर सवर्ण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर उपाध्याय ने कहा कि कई पार्टियों में मेयर चुनाव लड़ने के लिए 100 से ज्यादा आवेदन थे लेकिन जैसे ही मेयर पद का आरक्षण बदला तो वह नदारद हो गए। किसी ने सामान्य वर्ग के साथ हो रहे अन्याय का विरोध नहीं किया जबकि हम सामान्य वर्ग के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। नगर की जनता को ऐसे मौकापरस्त लोगों को पहचान कर याद रखना चाहिए।

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