परिवार से पहले मरीज की सेवा को प्राथमिकता देतीं हैं नर्स

  • अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष
  • कोविड काल में बच्चे की मौत के बाद भी ज्वॉइन की ड्यूटी
    आगरा, 11 मई 2022।
    नर्स इस धरती पर सेवा की जीती जागती प्रतिमूर्ति हैं। वह अपने परिवार से पहले मरीज की सेवा को प्राथमिकता देती हैं। कोविड काल में नर्सों की महत्ता और अधिक देखने को मिली। आगरा की स्टाफ नर्सों ने कोविड के दौरान फ्रंटलाइन में रहकर मरीजों की सेवा की। उन्होंने अपने परिवार को पीछे छोड़ मरीजों की सेवा करना चुना।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल 12 मई को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटेंगल को जन्मदिवस पर अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। उन्हें ‘द लेडी विद द लैंप’ के नाम से भी जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने के पीछे नर्सों के हेल्थकेयर में योगदान को उजागर करना है।

बेटे की मौत पांच दिन बाद ज्वॉइन कर ली ड्यूटी
राम नगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात अनीता यादव मरीजों के सेवा के लिए तैयार रहती हैं। उन्होंने बताया कि कोविड काल के दौरान उनके 18 साल के पुत्र की 11 जनवरी 2021 को मृत्यु हो गई और उसके कुछ दिन बाद ही 16 जनवरी को कोविड टीकाकरण में ड्यूटी करने चली गईं। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए वह अपना निजी दुख भूलकर ड्यूटी करने गईं, जिससे देश को कोविड से मुक्ति मिल सके।

गोल्डन मिनट के लिए प्रसव कक्ष में लड़ाई
जिला महिला अस्पताल के प्रसव कक्ष की सिस्टर इंचार्ज मंजुला मोर ने बताया कि कोविड के दौरान पूरे जिले में केवल कोविड हॉस्पिटल में ही प्रसव हो रहे थे। उस दौरान वह वहां पर तैनात थीं, तब गर्भवती बिना कोविड रिपोर्ट के भी आती थीं, उस दौरान हम रिस्क लेकर भी उनका प्रसव कराते थे। जच्चा-बच्चा की जान बचाना हमारा पहला धर्म है। उन्होंने बताया कि अभी भी प्रसव कक्ष में हम हमेशा कठिन समय से गुजरते हैं। प्रसव के एक मिनट के भीतर ही बच्चा यदि रोया नहीं तो उसे तुरंत वार्मर पर रखकर सप्शन मशीन से उसकी सांस नली साफ करनी होती है। कई बार तो हम अपने मुंह से बच्चे की सांस नली साफ करते हैं। यह मिनट बच्चे लिए गोल्डन मिनट होता है। मंजुला ने बताया कि वह 15 साल से इसी प्रक्रिया से रोज हजारों बच्चों की जान बचा चुकी हैं।

दो साल के बच्चे को छोड़ मरीजों की सेवा की
एसएन मेडिकल कॉलेज की एमसीएच विंग स्थित स्त्री रोग विभाग में तैनात सिस्टर प्रतिभा ने बताया कि कोविड के दौरान वह अपने दो साल के बच्चे को छोड़कर कोविड वार्ड में ड्यूटी करने जाती थीं। इस दौरान बच्चा रोता था, लेकिन उन्होंने मरीजों को पहली प्राथमिकता दी।

बिचपुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात स्नेहलता ने बताया कि प्रसव कक्ष में कई बार जच्चा को पोस्ट पार्टम हैमरेज (पीपीएच) हो जाता है। इस दौरान मरीज की जान भी जा सकती है। कई बार ऐसे मरीजों की हमने जान बचाई है। कोविड काल में भी प्रसव किए हैं। इस दौरान परिवार से अलग रहना पड़ा।

SHARE