जी डी पी क्या है ?
आज आपको बताते है GDP के बढ़ने से क्या होता है।
इस समय बहुत से लोग मंदी का हल्ला मचा रहे है लेकिन लोग नही जानते जी डी पी का मूल स्वरुप, बस GDP-GDP की रट लगाते रहते है GDP घट गई GDP बढ़ गई।
अब कोई पूछे तो तुरंत बताना निसंकोच
ध्यान से समझिये
जब आप टूथपेस्ट खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है परंतु किसी गरीब से दातुन खरीदते हैं तो GDP नहीं बढ़ती।
100% सच-
जब आप किसी बड़े होस्पिटल मे जाकर 500 रुपये की दवाई खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है परंतु आप अपने घर मे उत्पन्न गिलोय नीम या गोमूत्र से अपना इलाज करते हैं तो जीडीपी नहीं बढ़ती।
100% सच
जब आप घर मे गाय पालकर दूध पीते हैं तो GDP नहीं बढ़ती परंतु पैकिंग का मिलावट वाला दूध पीते हैं तो GDP बढ़ती है।
100% सच
जब आप अपने घर मे सब्जियाँ उगाकर खाते हैं तो GDP नहीं बढ़ती परंतु जब किसी बड़े AC माल मे जाकर 10 दिन की बासी सब्जी खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है।
100% सच
जब आप गाय माता की सेवा करते हैं तो GDP नहीं बढ़ती परंतु जब कसाई उसी गाय को काट कर चमड़ा मांस बेचते हैं तो GDP बढ़ती है।
रोजाना अखबार लिखा होता है की भारत की जीडीपी 5 % है तो कभी कहा जाता है कि 9 % है । प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि हम 12 % जीडीपी हासिल कर सकते है पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलम कहते थे की हम 14 % भी जी डी पी हांसिल कर सकते है । रोजाना आप जीडीपी के बारे में पढ़ते है और आपको लगता है की जीडीपी जितनी बढ़ेगी उतनी देश की तरक्की होगी… यही सोचते हैं ना आप …?
कभी किसी ने जानने की कोशिश की कि यह जीडीपी है क्या ? आम आदमी की भाषा में जीडीपी का क्या मतलब है ये हमें आज तक किसी ने नही समझाया ।
GDP actually the amount of money that exchanges hand . यानि जो पैसा आप लिखित में आदान प्रदान करते है वह अगर हम जोड़ ले तो जीडीपी बनती है ।
अगर एक पेड़ खड़ा है तो जीडीपी नही बढती , लेकिन अगर आप उस पेड़ को काट देते है तो जीडीपी बढती है क्योंकि पेड़ को काटने के बाद पैसा उसका फर्नीचर बनेगा तो पैसे का आदान प्रदान होता है , पर पेड़ अगर खड़ा है तो तो कोई इकनोमिक Activity नही होती इसलिए जीडीपी भी नही बढती है ।
अगर भारत के सारे पेड़ काट दिये जाये तो भारत की जीडीपी 27 % हो जाएगी जो आज करीब 5% है । आप बताइए आपको 27 % जीडीपी चाहिए या नही …?
अगर नदी साफ़ बह रही है तो जीडीपी नही बढती पर अगर आप नदी को गंदा करते है तो जीडीपी तीन बार बढती है ।
पहले नदी के पास उद्योग लगाने से जीडीपी बढेगी , फिर नदी को साफ़ करने के लिए हज़ार करोड़ का प्रोजेक्ट लिया तो जीडीपी फिर बढ गयी ।
फिर लोगो ने नदी के दूषित पानी का इस्तेमाल किया बीमार पड़े, डॉक्टर के पास गए डॉक्टर ने फीस ली , फिर जीडीपी बढ गयी ।
इसीतरह अगर आप कोई कार खरीदते है , आपने पैसा दिया किसी ने पैसा लिया तो जीडीपी बढ गयी, आपने कार को चलाने के लिए पेट्रोल ख़रीदा जीडीपी फिर बढ गयी, कार के दूषित धुयें से आप बीमार हुए , आप डॉक्टर के पास गए , आपने फीस दी उसने फीस ली और फिर जीडीपी बढ गयी ।
जितनी कारे आयेगी देश में उतनी जीडीपी तीन बार बढ जाएगी, और इस देश रोजाना 4000 से ज्यादा कारें खरीदी जाती है ,
25000 से जादा मोटर साइकल खरीदी जाती है और सरकार भी इसकी तरफ जोर देती है क्योंकि यही एक तरीका है जिससे देश की जीडीपी बढे ।
हर बड़े अख़बार में कोका कोला और पेप्सी कोला का Advertisement आता है और यह भी सब जानते है के यह कितना खतरनाक और जहरीला है सेहत के लिए , पर फिर भी सब सरकारें चुप हैं और आँख बंद करके रखा है क्योंकि जब भी आप कोका कोला पीते हैं तो देश की जीडीपी दो बार बढती है । पहले आपने कोका कोला ख़रीदा पैसे दिया जीडीपी बढ गया , फिर पीने के बाद बीमार पड़े डॉक्टर के पास गए, डॉक्टर को फीस दिया जीडीपी बढ गयी ।
आज अमेरिका में चार लाख लोग हर साल मरते है क्योंकि वो जो खाना खाते है , वह जंक फ़ूड है, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स है वो खाने से मोटापा और बीमारी होती है , आज 62 % अमेरिका के लोग क्लीनिकली मोटापा के शिकार हैं , और हमारे देश में 62 % लोग तो कुपोषण के शिकार हैं । यह भी जीडीपी बढ़ने
का एक तरीका है , जितना ज्यादा प्रदुषण खाने में होगा उतना ज्यादा जीडीपी बढेगी ।
पहले फ़ूड इंडस्ट्री की बृद्धि हुई जीडीपी बड़ी , उसके साथ फार्मासिउटीकल्स की बृद्धि हुई फिर जीडीपी बढ गयी , फिर इसके साथ इन्सोरेन्स की भी बृद्धि हुई जीडीपी बढ़ गयी ।
यह तीनो इंडस्ट्री आपस में जुडी हुई है इसीलिए आज इन्सोरेंस इंडस्ट्री फ़ूड
में पैसा लगा रहा है क्योंकि आप जितना जादा ख़राब फ़ूड खायेंगे उतनी इंडस्ट्री की बृद्धि होगी और जीडीपी बढेगी ।
अब क्या आपको जीडीपी बढानी है या घर में खाना बनाना है ! अब घर में खाना बनाने से जीडीपी नही बढती । इस मायाजाल को समझे ।
अमेरिका में आज करीब चार करोड़ लोग भूखे पेट सोते है यूरोप में भी चार करोड़ लोग भूखे सो रहे है ।
भारत में सरकारी आंकड़ो के अनुसार करीब 32 करोड़ लोग भूखे सोते है , अगर जीडीपी ही एक विकास का सूचक होती तो अमेरिका में भूख ख़त्म हो जानी चाहिए थी पर अमेरिका और यूरोप में भूख बढ़ रही है
भारत में भी जीडीपी के साथ भूख बढ रही है !
अतः आपसे निवेदन है कुछ समय निकालकर देश की आर्थिक स्थिति और उसके कारणो को समझने का प्रयास करें ।
GDP का सिर्फ फूल फॉर्म (Gross Domestic Product)
जान कर खुद को अर्थशास्त्री समझने वालों से दूर रहे, खुद का अपना दिमाग लगाए।
संकलनकर्ता
तरंग मीडिया टोली