वैज्ञानिकों ने खोजा धरती का दूसरा चाँद

वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्‍होंने एक एस्‍टेरॉयड एफडब्‍ल्‍यू-13 को खोजा है। इसे क्‍वासी मून माना जाता है। ये क्‍वासी मून धरती और सूर्य दोनों का चक्‍कर लगाता है। इसलिए वैज्ञानिक इसे धरती का दूसरा चांद कह रहे हैं। पैन स्‍टार्स ने इस क्‍वासी मून का सबसे पहले पता लगाया था तथा बाद में कनाडा फ्रांस हवाई टेलीस्‍कोप और अमेरिका के एरिजोना की दो आब्जर्वेटरीज ने भी इसकी पुष्टि की है।

इंटरनेशन एस्‍ट्रॉनॉमिकल यूनियन ने 1 अप्रैल को इसे आधिकारिक तौर माइनर प्लैनेट सेंटर में सूचीबद्ध कर दिया। ये यूनियन वैज्ञानिकों की एक टीम है, जो नए ग्रहों और दूसरे आकाशीय पिंड का नाम रखती है ।कएफडब्‍ल्‍यू-13 धरती का अकेला क्‍वासी मून नहीं है। साल 2016 में भी एक अन्‍य क्‍वासी मून कामो-ओलेवा को खोजा गया था। इसके बाद फरवरी 2020 में भी एक कार के बराबर बड़े धरती के अस्‍थायी चांद को भी खोजा गया।

एक स्टडी के मुताबिक, ये क्‍वासी मून धरती के चांद का टुकड़ा भी हो सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये क्‍वासी मून जिस कक्षा में चक्‍कर लगा रहा है, उसके आधे रास्ते में मंगल और आधे में शुक्र ग्रह हैं। क्‍वासी मून एफडब्‍ल्‍यू-13 सूर्य के चक्कर उतने ही समय में लगाता है, जितने समय में पृथ्वी लगाती है। साथ ही ये पृथ्वी का चक्कर भी लगाता रहता है। ये क्‍वासी मून धरती के बजाय सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ है, इसी वजह से सूर्य इसे अपनी ओर खींच रहा है, इसीलिए इसे क्‍वासी कहा जाता है जबकि चंद्रमा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बंधा होता है।

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