प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिकी दौरा दोनों देशों के लिए सुनहरी अवसर

प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिकी दौरा दोनों देशों के लिए सुनहरी अवसर माना जा रहा है। बीते सालों में वाशिंगटन और दिल्ली के बीच दूरी कम हुई है। अमेरिका अब भारत को अपना ख़ास दोस्त बनाने में जुटा है। दोनों मुल्कों के बीच हाल के वर्षों में आपसी संबंधों ने नई उड़ान भरी है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत और अमेरिका साथ-साथ खड़े दिखाई देते हैं।

भारतीय मूल के पचास लाख से अधिक लोग अमेरिका में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। व्हाइट हाउस की तरफ़ से अमेरिकी लोगों और बाक़ी दुनिया को यह दिखाने की हर संभव कोशिश की जा रही है कि दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र का अद्भुत मिलन हो रहा है

भारत इस वक़्त दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार है. पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने की वजह से भारत ने वैश्विक मंचों पर अपनी निर्णायक उपस्थिति दर्ज की है।

अमेरिका, भारत में अपने लिए संभावनायें देख रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की बात हो या अमेरिकी कंपनियों के उत्पादों के लिए विशाल ग्राहक वर्ग या फिर भारत द्वारा अरबों डॉलर के रक्षा ख़रीद, इन सबमें अमेरिका को अपना हित मज़बूत होता दिख रहा है।

जानकारों का मानना है कि बदलते वैश्विक समीकरण में भारत जैसे पार्टनर को अपने ख़ेमे में रखने के लिए सभी सुपर पावर लगे हुए हैं। चीन की चुनौतियों ने भारत और अमेरिका को क़रीब लाने में अहम भूमिका निभाई है लेकिन भारत को पता है कि अमेरिका ख़ुद चीन के साथ संबंधों को लेकर लुका-छिपी के खेल खेलता है। अमेरिका से नयी दोस्ती के लिए भारत अपने विश्वस्त दोस्त रूस के साथ संबंधों को भी कटघरे में नहीं रखना चाहता। नया वर्ल्ड आर्डर बन रहा है और भारत कोई जल्दबाज़ी में नहीं है क्योंकि इस नए वर्ल्ड आर्डर में भारत की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।

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