पैंथर्स ने दी पाक को नसीहत

जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी
13 सितम्बर, 2019
नई दिल्ली/जम्मू/श्रीनगर
पैंथर्स सुप्रीमो ने पाक प्रधानमंत्री को भारतीय प्रतिनिधि का 
सयंुक्त राष्ट्रसंघ में 8 घंटे का भाषण याद दिलाया

नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय और संयुक्त राष्ट्रसंघ के जानकार प्रो. भीम सिंह ने पाक प्रधानमंत्री श्री इमरान खान से, जो मुजफ्फराबाद में जम्मू-कश्मीर के सम्बंध में बोल रहे थे, कहा कि उन्हें भारतीय प्रतिनिधि श्री वी.के कृष्णामेनन की 23 व 24 जनवरी, 1957 को संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा में लगभग 8 घंटे के भाषण का अध्ययन करना चाहिए।
प्रो.भीमसिंह ने कहा कि भारतीय प्रतिनिधि श्री कृष्णामेनन द्वारा संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्लेटफार्म पर उठाए गये मुद्दे आज भी जीवित हैं। उन्होंने कहा कि श्री मेनन ने अपने भाषण से पाकिस्तान को चुप कर दिया और संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्थायी सदस्यों की राय को बांट कर एक अन्तर्राष्ट्रीय माहौल तैयार किया था। यह सोवियत यूनियन वर्तमान रूस था, जो भावनात्मक, राजनीतिक और अन्तर्राष्ट्रीय रूप से 1957 से आज तक भारतीय स्टैंड के साथ खड़ा है। उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को सलाह दी कि वे पहले जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ विलय के इतिहास का अध्ययन करें। 
उन्होंने लोगों से, जो युद्ध या उस जैसे दूसरे तरीकों से विवादित क्षेत्र को हासिल करने की बात करते हैं, कहा कि संयुक्त राष्ट्रसंघ में विवाद पाकिस्तान द्वारा पाक-अधिकृत कश्मीर, गिलगित और बल्तिस्तान क्षेत्र पर गैरकानूनी कब्जे का है और पाकिस्तान द्वारा गैरकानूनी तरीके 1963 में चीन को स्थानांतरित किये गये क्षेत्र का है। दोनों पाकिस्तान और चीन द्वारा जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में ताकत से कब्जा संयुक्त राष्ट्रसंघ प्रस्ताव की अवहेलना है। भारतीय प्रतिनिधियों को संयुक्त राष्ट्रसंघ में जम्मू-कश्मीर पर बोलने से पहले इस मामले पर तैयार किया जाना चाहिए। 
प्रो.भीमसिंह ने भारत सरकार पर जोर दिया कि वह भारतीय प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त राष्ट्रसंघ में ऐतिहासिक, भौगोलिक और अन्तर्राष्ट्रीय कानून की मदद से भारत का संदेश भेजे। 
उन्होंने कहा कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है, दोनों भाईयों भारत और पाकिस्तान को इस तरह के कदम उठाने चाहिएं, जिससे दोनों देश जम्मू-कश्मीर के दोनों तरफ के लोगों का विश्वास हासिल कर सकें। दोनों तरफ के लोगों के बीच ‘दिल से दिल‘ वार्ता के आयोजन की अनुमति देनी चाहिए, जिसमें दोनों तरफ के सभी राजनीतिक और सामाजिक नेता शामिल हों। प्रो.भीमसिंह 2005 और 2007 में इस तरह की वार्ता का आयोजन कर चुके हैं।  

ह./बंसीलाल शर्मा, एडवोकेट
सलाहकार-जेकेएनपीपी
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