नितीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़ाने का जेडीयू व अखिलेश का प्लान है। वैसे तो अखिलेश की कोई अहमियत नहीं है लेकिन फिर भी हाथ पैर मारते हुए किसी को साथ में जोड़ते हैं तो उसकी नाव भी डुबा देते हैं। यदि इस नए प्रयोग पर कोई सहमति बन जाती है तो नितीश कुमार का क्या होगा? मालूम नहीं।
यूपी की फूलपुर सीट से नितीश कुमार को चुनाव में उतारने की सुगबुगाहट हो रही है। इस लोकसभा सीट पर नीतीश की जाति कुर्मी वोटरों का दबदबा है। इसी बिरादरी के लोग जीत हार तय करते हैं। नीतीश के चुनाव लड़ने से ये मैसेज जाएगा कि वे भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। नीतीश के नाम के बहाने इस जाति के वोटर गोलबंद हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ और समाजवादी पार्टी की लॉटरी निकल सकती है। वैसे अभी तक तरह तरह के गठबंधन करने के बावजूद चुनावों में अखिलेश यादव को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है।
राजनीतिक ताक़त के हिसाब से OBC में यादव के बाद कुर्मी को सबसे प्रभावशाली जाति माना जाता रहा है। एक अनुमान के मुताबिक़ राज्य में 6% कुर्मी वोटर हैं। अब तक का चुनावी इतिहास ये बताता रहा है कि यूपी में कभी भी इस समाज के लोग एक नेता के पीछे नहीं रहे। अलग अलग इलाक़ों में अलग अलग नेताओं का वर्चस्व रहा।
पटेल, गंगवार, सचान, कटियार, निरंजन, चौधरी और वर्मा यूपी में कुर्मी जाति के लोगों के सरनेम होते हैं। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें है, इनमें 8 सांसद कुर्मी बिरादरी के हैं। बीजेपी के 6, बीएसपी के 1 और अपना दल के 1 सांसद इसी समाज के हैं। समाजवादी पार्टी को लगता है कि नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने से उन्हें इस बिरादरी के लोगों का समर्थन अपने आप मिल जाए, लेकिन लगने और होने में अंतर होता है।