खगड़िया से प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ, इसके बाद सभी जिलों में होगा प्रशिक्षण
खगड़िया
राज्य में नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत एक सौ दो ट्रेनिंग सेशन की मदद से तीन हजार से अधिक चिकित्सकों, स्टाफ नर्स और एएनएम का क्षमतावर्धन होगा. इंडियन एकेडमी ऑफ़ पेडीएट्रिक, पाथ संस्था एवं राज्य स्वास्थ्य समिति के साझा सहयोग के साथ यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। बुधवार को राज्य स्वास्थ्य समिति के सचिव सह कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
खगड़िया जिला को उदाहरण के रूप में करें प्रस्तुत : आनलाइन के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कार्यपालक निदेशक ने कहा कि इंडियन एकेडमी ऑफ़ पेडीएट्रिक तथा पाथ संस्था राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ समन्वय स्थापित कर नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है। नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए यह महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा कि प्रसव से जुड़े सभी स्वास्थ्यकर्मियों को हर प्रसव अपने पहले प्रसव के कार्य के रूप में देखना चाहिए। खगड़िया जिला से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। यह एक चुनौतीपूर्ण जिला है। यहां से प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत के साथ जिला को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तूत किया जायेगा। इसके बाद राज्य के सभी 38 जिलों में इस प्रशिक्षण की शुरुआत होगी।
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन से मिली वित्तीय सहायता : पाथ के स्टेट हेड अजीत कुमार सिंह ने कहा कि इंडियन एकेडमी ऑफ़ पेडीएट्रिक तथा पाथ समन्व्य स्थापित कर राज्य में नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के सभी प्रयास कर रहा है। इसमें राज्य स्वास्थ्य समिति के साझेदारी के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस प्रशिक्षण कार्य के लिए बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा वित्तीय सहायता दी जा रही है।
राज्य कार्यक्रम अधिकारी, बाल स्वास्थ्य डॉ बीपी राय ने कहा कि नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने में इस प्रकार का प्रशिक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्यकर्मियों के इस प्रकार के प्रशिक्षण से सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट पर दबाव में कमी आयेगी। इससे रेफरल की संख्या घटेगी।
इंडियन एकेडमी ऑफ़ पेडीएट्रिक के डॉ उपेंद्र किनजावाडेकर ने कहा कि अच्छे ट्रेनरों की मदद से स्वास्थ्यकर्मियों का यह प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। इससे राज्य में नवजात मृत्यु दर में काफी कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का लक्ष्य स्वास्थ्यकर्मियों का ज्ञान व क्षमतावर्धन है ताकि वे नवजात को दिये जाने वाले सभी देखभाल कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें।
नवजात शिशु मृत्यु दर में आयी है कमीः नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (2019-20) की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में नवजात एवं शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आयी है। एनएफएचएस 4 (2015-16) के आंकडों की तुलना में बिहार में एक हजार जीवित जन्मों पर नवजात मृत्यु दर में छह प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है। एनएफएचएस 5 में बिहार में नवजात शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार जीवित जन्म पर 34.5 है जबकि एनएफएचएस 4 में यह प्रति एक हजार जीवित जन्म पर 36.7 था। नवजात मृत्यु दर की गणना प्रति एक हजार जीवित जन्म पर एक वर्ष से कम आयु में मरने वाले बच्चों की संख्या के रूप में की जाती है।
नवजात मृत्यु से निपटने इन विषयों पर होगी ट्रेनिंग : राज्य में नवजात शिशु मृत्यु से निपटने के लिए प्रसव के उपरांत नवजात में होने वाली जटिलताओं के बेहतर प्रबंधन को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे, बीमारी तथा कमजोर नवजात के लिए हाईपोथर्मिया, शरीर का ठंडा रहना, वजन कम होना आदि जटिलताओं के निवारण के लिए कंगारू मदर केयर तकनीक का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल, नवजात का शीघ्र स्तनपान प्रारंभ कराना इस प्रशिक्षण के महत्वपूर्ण बिंदू हैं।
इसके अलावा नवजात का शारीर नीला-पीला पड़ना, नवजात के दवारा स्तनपान नहीं कर पाना, बार-बार उल्टी करना, अच्छी तरह ढंके होने के बावजूद शारीर का ठंडा पड़ना, संक्रमण से बचाव आदि को लेकर प्रशिक्षण के मुख्य हिस्सा होंगे.सहायक निदेशक, बाल स्वास्थ्य विमलेश कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत 13 जुलाई को रिफ्रेशर ट्रेनिंग दिया जायेगा। इस बाबत सचिव स्वास्थ्य सह कार्यपालक निदेशक द्वारा जल्दी पत्र जारी कर सूचना दी जाएगी।