नई दिल्ली।
वन नेशन-वन इलेक्शन की तैयारी, किसी को होगा लाभ, किसी को हानि, देश को होगा केवल लाभ। इससे समय और पैसा दोनों की बचत की जा सकेगी। लेकिन विपक्षी पार्टियों को इसमें अपना हित नजर नहीं आ रहा है।
इसको लेकर केंद्र सरकार ने कमेटी बना दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसके अध्यक्ष होंगे। यह कमेटी ‘एक देश, एक चुनाव’ के कानूनी पहलुओं को समझेगी और आम लोगों से इस पर राय लेगी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को X (ट्विवटर) संसद का विशेष सत्र बुलाने की जानकारी दी थी। ट्वीट के मुताबिक, 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया जाएगा और इस सत्र में 5 बैठकें होंगी।
पूरे देश में एक समय पर चुनाव होंगे तो आचार संहित को कुछ ही समय के लिए लागू किया जाएगा। इसके बाद विकास कार्यों पर ब्रेक नहीं लगेगा। अलग-अलग समय में चुनाव की प्रक्रिया के कारण इसमें खर्चा भी बढ़ जाता है। अतिरिक्त खर्च होने के साथ कर्मचारियों की ड्यूटी भी प्रभावित होती है। एक देश-एक चुनाव के जरिए समय और पैसे दोनों की बचत हो सकती है।
एक देश, एक चुनाव को लागू करना आसान नहीं होगा क्योंकि इसके लिए कानून में बदलाव भी करने होंगे। पीपुल एक्ट से लेकर संसदीय नियमों में बदलाव करने होंगे। इन बदलावों को लेकर विपक्ष कितना सपोर्ट करेगा, सरकार के लिए ये भी बड़ी चुनौती होगी।