केवल ‘भारत’ शब्द का उपयोग करने की मांग, अंग्रेजों की गुलामी की निशानी है ‘इंडिया’

केवल भारत शब्द का उपयोग करने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। इंडिया अंग्रेजों की गुलामी की निशानी है। हमारे देश का नाम’भारत’ है।। भाषा के बदलने पर कोई नाम नहीं बदलता है।

यदि किसी का नाम राहुल है तो वह अंग्रेजी में आउल नहीं होता है। इसी प्रकार भारत चाहे दुनिया की किसी भी भाषा में बोला या लिखा जाए, वह भारत ही रहना चाहिए।

इस विषय पर अपनी राय देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट करके कहा है कि रिपब्लिक ऑफ भारत’, ये खुशी और गर्व का विषय है। हमारा देश अमृतकाल की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।

राष्ट्रपति भवन की ओर से 9 सितंबर को जी-20 सम्मेलन के सम्मान में जो डिनर आयोजित किया जा रहा है, उसमें ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है।

बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने टीवी-9 भारतवर्ष से बातचीत करते हुए कहा था कि देश के संविधान से ‘इंडिया’ शब्द हटाया जाना चाहिए, क्योंकि ‘इंडिया’ शब्द औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक है। ‘इंडिया’ प्राणविहीन शब्द है और भारत जीवंत और प्राणयुक्त शब्द है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लालकिले से अमृत काल के जिन पंच प्रण की बात कही थी, उसमें से एक प्रण गुलामी की मानसिकता और उसके प्रतीकों से मुक्ति पाना भी है। इस तरह से अंग्रेजों के जमाने के तमाम कानून बदल दिए गए हैं। इसी तरह अब ‘इंडिया’ जोकि अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाम है, संविधान से मिटाकर केवल ‘भारत’ सम्बोधित किया जाना चाहिए।

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