नई दिल्ली।
G20 के लिए हमारा आदर्श वाक्य है ‘वसुधैव कुटुंबकम’। हमारे लिए पूरा विश्व एक परिवार की तरह है। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’। किसी भी परिवार में, प्रत्येक सदस्य का भविष्य हर दूसरे सदस्य के साथ गहराई से जुड़ा होता है। इसलिए, जब हम एक साथ काम करते हैं, तो हम एक साथ प्रगति करते हैं, किसी को पीछे नहीं छोड़ते।
आज हमारे इस मॉडल की सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल रही है। वैश्विक संबंधों में भी यही हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत है। सबका साथ – हम सभी को प्रभावित करने वाली सामूहिक चुनौतियों का सामना करने के लिए दुनिया को एक साथ लाना।
सबका विकास – मानव-केंद्रित विकास को हर देश और हर क्षेत्र तक ले जाना।
सबका विश्वास – प्रत्येक हितधारक की आकांक्षाओं की पहचान और उनकी आवाज के प्रतिनिधित्व के माध्यम से उनका विश्वास जीतना।
सबका प्रयास – वैश्विक भलाई को आगे बढ़ाने में प्रत्येक देश की अद्वितीय शक्ति और कौशल का उपयोग करना।
आज दुनिया भर के लोग विभिन्न क्षेत्रों में 140 करोड़ भारतीयों के प्रयासों के कारण भारत के बारे में आशावाद की भावना से भर जाते हैं। वे यह भी मानते हैं कि भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है और उसे वैश्विक भविष्य को आकार देने में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। जी20 मंच के माध्यम से हमारे काम के प्रति उनके समर्थन में भी यह देखा गया है।
पिछले कई वर्षों से, दुनिया कई क्षेत्रों में भारत के विकास को उत्सुकता से देख रही है। हमारे आर्थिक सुधार, बैंकिंग सुधार, सामाजिक क्षेत्र में क्षमता निर्माण, वित्तीय और डिजिटल समावेशन पर काम, स्वच्छता, बिजली और आवास जैसी बुनियादी आवश्यकताओं में संतृप्ति की खोज, और बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व निवेश की अंतरराष्ट्रीय संगठनों और डोमेन विशेषज्ञों द्वारा सराहना की गई है। वैश्विक निवेशकों ने भी साल दर साल एफडीआई में रिकॉर्ड बनाकर भारत पर अपना भरोसा दिखाया।
जी20 अध्यक्ष के रूप में, हम एक बायो-फ्यूल अलायंस भी शुरू कर रहे हैं जो देशों को उनकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा और साथ ही प्लेनेट-फ्रेंडली सर्कुलर इकोनॉमी को सशक्त बनाएगा।
उन्होंने कहा कि पहले दुनिया के नेताओं को दिल्ली के अलावा भारत में कुछ नहीं बताया या दिखाया गया। हमने इससे आगे बढकर दुनिया के शीर्ष नेताओं और उद्योपतियों को पूरे भारत से अवगत कराया और उन्हें दिखाया कि भारत में अनेकानेक सम्भावनाएं उपलब्ध हैं जिसकी पूरी दुनिया को जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने बेंगलुरु में तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की मेजबानी की। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने वाराणसी का दौरा किया। पुर्तगाली राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूजा की गोवा और मुंबई में मेजबानी की गई। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांतिनिकेतन का दौरा किया। तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने चंडीगढ़ का दौरा किया। दिल्ली के बाहर विभिन्न स्थानों पर कई वैश्विक बैठकें भी आयोजित की गई हैं। वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन हैदराबाद में आयोजित किया गया था। भारत ने गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और जयपुर में फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कॉर्पोरेशन शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।
हमारी G20 अध्यक्षता के अंत तक, सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं। लगभग 125 देशों के 1 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने भारत का दौरा किया है। हमारे देश में 1.5 करोड़ से अधिक लोग इन कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं या इनके विभिन्न पहलुओं से अवगत हुए हैं। इस पैमाने की बैठकें आयोजित करना और विदेशी प्रतिनिधियों की मेजबानी करना एक ऐसा प्रयास है जो इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, क्म्युनिकेशन स्किल, हॉस्पिटैलिटी और सांस्कृतिक गतिविधियों के मामले में महान क्षमता निर्माण की मांग करता है।