एक देश एक मतदाता सूची

डॉ सुनील उपाध्याय

श्रम समय और धन की बचत – मतदान परसेंटेज बढ़ाना-वोटर लिस्ट का आधार कार्ड से लिंक – चुनाव में पारदर्शिता आना

आगरा।

वन नेशन वन इलेक्शन के लिए कमेटी घटित होने के बाद देश भर में एक देश एक मतदाता सूची की भी मांग उठ रही है। वर्तमान में लोकसभा व विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव की मतदाता सूची अलग-अलग है। इस संदर्भ में हमारी बात आप्टा संस्थापक डॉ सुनील उपाध्याय से हुई। उन्होंने कहा कि एक देश एक मतदाता सूची होने पर मतदान प्रतिशत भी बढ़ेगा, मतदाता सूची की परिदृश्यता भी बनेगी रहेगी और वही अलग-अलग मतदाता सूचियां बनाने में व्यर्थ होने वाले समय, श्रम और आर्थिक बोझ को घटाया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अब तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग माता सूची तैयार करता रहा है वहीं स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग अपनी ओर से मतदाता सूची बनवाता रहा है। संविधान में अनुच्छेद 243 के और 243 जेड ए के तहत राज्य निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और इसकी पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखने के साथ आवश्यक निर्देश देने का अधिकार दिया गया है।

अनुच्छेद 324 (1) भारत निर्वाचन आयोग को लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग मतदाता सूची तैयार करने का अधिकार देता है। इस प्रक्रिया में अधिक समय के साथ-साथ पैसा और श्रम भी लगता है। जिसका मतदाता परसेंटेज पर भी असर पड़ता है।

एक देश एक चुनाव के साथ-साथ एक देश एक मतदाता सूची लोकतंत्र को मजबूत करेगी। और वैसे भी विधि आयोग ने भी वर्ष 2015 में अपनी 255वी रिपोर्ट में एक देश एक चुनाव और सजा मतदाता सूची की सिफारिश की थी।

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