अखिलेश, नितीश, शरद पवार इन सभी के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीटों के बंटवारे को लेकर है, जिस पर मामला फंसा हुआ है और हर कोई कांग्रेस पर ही दबाव डाल रहा है।
बिहार में मंगलवार को होने वाली प्रदेश कैबिनेट की बैठक इस बार सोमवार को ही बुला ली गई। तभी लगने लगा कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है। लेकिन नीतीश कुमार आज पटना में अचानक दीनदयाल उपाध्याय की जयंती कार्यक्रम में पहुंच गए। I.N.DI.A. गठबंधन के नेता हैरान हैं कि ये कैसे हुआ?
दीनदयाल जयंती समारोह में पहुंचे नीतीश कुमार से पत्रकारों ने सवाल पूछा, आप कैथल क्यों नहीं गए? नीतीश कुमार ने कहा, “लोग यूं ही कयास लगाते रहते हैं और मैं इन सब बातों पर ध्यान नहीं देता। मैं विपक्षी एकजुटता में लगा हूं और यही मेरा मकसद है।
नीतीश कुमार का कैथल न जाना, शरद पावर की अदाणी से मुलाकात, लेफ्ट का वायनाड की सीट पर दावा और अखिलेश यादव का राजस्थान में टिकट देने का फैसला, इन सबका कनेक्शन एक ही है। मामला ऊपर से देखने पर तो ऐसा ही लगता है पर खेल कुछ और ही चल रहा है।
नितीश की पार्टी के नेता बार-बार कह रहे हैं कि पीएम पद के लिए नीतीश कुमार ही सबसे योग्य नेता हैं। कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि पीएम पद के लिए पप्पू अर्थात …………. ही सबसे योग्य नेता हैं। अखिलेश भी तो इनसे कम नहीं हैं, जबकि ममता तो माशा अल्लाह खिलाड़ी हैं ही।
अभी तक सीटों के बंदरबांट पर ही बवाल हो रहा है, इसके बाद यदि गलती से भी सूरज पश्चिम से निकल गया अर्थात यदि गठबंधन कामयाब हो जाता है तो……….… मुकुट पहनने के लिए सिर फुटव्वल निश्चित है।