DRDO का प्रोजेक्ट “कुश”अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसमें ड्रोन, एंटी मिसाइल, एयरक्राफ्ट देश में ही बनाये जायेंगे। भारत ने 2028 तक अपना खुद का एयर डिफेंस सिस्टम बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए इस्तेमाल होंगी LR-SAM यानी लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइलें। भारत में तीनों सेनाएं सतह से हवा में मार करने वाली SAM का इस्तेमाल करती हैं। इनमें S400 आयातित सिस्टम हैं जबकि आकाश एक स्वदेशी सिस्टम है।
भारत हमेशा आयातित मिसाइल सिस्टम्स पर निर्भर नहीं रह सकता। इसलिए LRSAM प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। स्वदेशी सिस्टम होगा, तो आप उसे जब चाहें, जितनी संख्या में चाहें बना सकेंगे, तैनात कर सकेंगें और किसी की कोई बन्दिश नहीं होगी।इसीलिए LRSAM प्रोजेक्ट बेहद अहम हो गया है।
यहां बात सिर्फ विदेशी मुद्रा भंडार के डॉलर बचाने की नहीं है।आपके पास पैसा हो, तब भी आप फंस सकते हैं। तुर्की इसका ताजा उदाहरण है। उसने रूस से S400 सिस्टम खरीदा, तो अमेरिका ने उसे F35 स्टेल्थ फाइटर प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया। फिर जब भारत ने रूस से S400 सिस्टम खरीदने का इरादा बनाया, तो अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने के संकेत दिये, लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाया, लेकिन फिर भी उसने आँखे तो दिखा दी।
भारत में तैयार किया जाने वाला ये सिस्टम, लड़ाकू, विमान, बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल और ड्रोन्स- इन सभी को रोकने में कारगर होगा। इसमें एक लॉन्ग रेंज सर्विलांस और फायर कन्ट्रोल राडार लगे होंगे। इस सिस्टम में अलग अलग रेंज की मिसाइल लगी होंगी जो 150, 250 और 350 किलोमीटर की दूरी से आने वाली हमलावर मिसाइलों को रोक सकेंगी।
ये सिस्टम 80 से 90 % हमलों को रोकने की क्षमता रखेगा। इसे इस तरह बनाया जाएगा कि ये IACCS में आसानी से फिट बैठ जाए।IACCS यानी इंटेग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम। जो भारत के तमाम मिलिट्री और सिविलियन राडार का डेटा इकठ्ठा कर एक सुरक्षा कवच बनाता है।