500 साल की प्रतीक्षा, 20 से 25 पीढ़ियों का संघर्ष, 74 युद्ध इन सब के बाद बना है राम मंदिर

500 साल की प्रतीक्षा, 20 से 25 पीढ़ियों का संघर्ष, 74 युद्ध इन सब के बाद बना है राम मंदिर। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने इस अवसर पर कहा कि कोई कोई अवसर ऐसा होता है, कोई-कोई दृश्य ऐसा होता है जिसे देखने की प्रतीक्षा देवता भी करते हैं। ये सब लिखा गया है “राम फिर लौटे” नामक पुस्तक में जिसका विमोचन आज संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने किया।

राम मंदिर आंदोलन और अयोध्या के सांस्कृतिक मूल्य पर रोशनी डालती प्रख्यात लेखक और टीवी9 भारतवर्ष के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा की किताब ‘राम फिर लौटे’ का विमोचन आज शनिवार को कर दिया गया। प्रभात प्रकाशन ने इस किताब का प्रकाशन किया है।

22 जनवरी को देश के हजारों संत और विशिष्ट जनों की उपस्थिति में रामलला और उनकी बड़ी मूर्ति अपने जन्मस्थान पर बने गर्भगृह में प्राणप्रतिष्ठित होगी। उन्होंने कहा कि राम विराजमान हो रहे हैं अपने घर के मंदिर में, इसे आप लोगों को घर में टीवी पर नहीं देखना है। आपको अपने मोहल्ले में बने मंदिर को एक दिन के लिए अयोध्या मानना है। पूरे समाज को वहां पर उपस्थित होना है।

पुस्तक विमोचन के बाद अपने संबोधन में स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि राम हमारी आस्था हैं, वो निश्चित हैं। राम हमारी पूजा भी हैं। राम हमारी परंपरा भी हैं। राम हमारी अस्मिता हैं। राम हमारा स्वाभिमान हैं। राम हमारी पहचान हैं।

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