नई दिल्ली।
कतर ने 8 पूर्व नौसेनिक अफसरों को रिहा कर दिया, इसमें से 7 सुरक्षित स्वदेश लौट आये हैं। दुनिया में एक बार फिर भारत सरकार की सफल कूटनीती का असर दिखाई दिया। इन सभी पूर्व अधिकारियों ने PM मोदी सरकार को इसका पूरा श्रेय दिया।
इन सभी अधिकारियों को जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। इनमें से सात भारतीय नौसैनिक भारत आ गए हैं। नौसेना के इन अधिकारियों के मौत की सजा को उम्रकैद की सजा में पीएम मोदी के हस्ताक्षेप के बाद ही बदल दिया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से भेंट की। द्विपक्षीय साझेदारी और कतर में रहने वाले भारतीयों की भलाई पर चर्चा भी की। विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल ने भी इस मुद्दे को कतर के सामने बार-बार उठाया था।
अफगानिस्तान में तालिबान ने 2021 में कब्जा किया तो भारत ने अफगानिस्तान से लगभग 1,200 लोगों को सकुशल बाहर निकाला था।
यमन में सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच जंग छिड़ी थी तो 2015 में ऑपरेशन राहत के तहत यमन से लगभग 5,600 लोगों को निकाला था। इसकी निगरानी खुद प्रधानमंत्री मोदी कर रहे थे।
यूक्रेन-रूस के बीच छिड़ी जंग के बीच से मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा के तहत 22,500 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला।
2023 में ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से 3,800 से अधिक भारतीयों की वतन वापसी करवाई।
बालाकोट स्ट्राइक के बाद 2019 में जब पाकिस्तानी वायुसेना के एफ 16 को मार गिराने के बाद विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का लड़ाकू विमान क्रैश हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी के आक्रामक रूख के कारण ही पाकिस्तान को विंग कमांडर को सुरक्षित घर भेजना पड़ा।