- पुलिस चार्जशीट दाखिल करते हुए काँपती थी
- सरकारी वकील सामने से बहस करते हुए कांपते थे
- जज साहब उसके खिलाफ फैसला देने से कांपते थे
- उसके सामने / खिलाफ कोई गवाही नहीं दे सकता था
- सरकारी प्रशासन उसके द्वारा कब्जा की गई संपत्ति को उसकी ही मिल्कियत बताते थे
- यदि कोई शेरदिल बनकर खिलाफत में खडा हो गया तो उसकी जीवनलीला खत्म कर दी गई
- उम्र 63 वर्ष और कोर्ट में अपराधिक मामले 65
- 60 से अधिक लोगों की हत्या
- ये छोटा से बायोडाटा है मुख्तार अंसारी का
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खौफ से पुलिस, वकील, जज, डॉक्टर व अन्य सरकारी अधिकारी कांपते थे।मुख्तार का खौफ ऐसा था कि पुलिस भी चार्जशीट लगाने के बजाय लटका कर रखती थी। यदि गलती से चार्जशीट कोर्ट में पेश भी हो जाए तो सरकारी वकील बहस करने के बजाय खुद को केस से बाहर कर लेते थे। रही बात आम आदमी और उसके विरोधियों की तो, यह कुख्यात बदमाश खुद ही शूटर भेज कर लोगों की हत्या कराता था और पुलिस पर दबाव बनाकर अपने विरोधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा देता था।
मऊ और आजमग में मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे। फिर भी पुलिस उन मामलों में चार्जशीट नहीं लगा रही थी। क्योंकि उन दिनों प्रदेश में सपा की सरकार थी और तमाम उच्चाधिकारी भी मुख्तार के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहते थे।
लेकिन संयोग से उसी समय मऊ के एसपी के रूप में अनंतदेव तिवारी की तैनाती हुई और उन्होंने मुख्तार के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को लाइनअप कर दिया। हालांकि उस समय भी लखनऊ से कई बार चार्जशीट रोकने के आदेश आए, लेकिन मुख्तार के धुर विरोधी और घोसी विधानसभा सीट से प्रत्याशी राजीव राय ने भी अभियान छेड़ दिया।जिसके दम पर मुख्तार के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में चार्जशीट हो सकी और ये मामले फैसले तक पहुंचे और मुख्तार अंसारी पंहुचा जेल तक।
फिर गुंडे मवालियों की सरकार चली गई और आ गया योगी राज। गुंडे, मवालियों, कातिलों, रंगदारी करने वालों, जमीनों पर कब्जा करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही शुरू हुई। इसका असर देश का हर नागरिक महसूस कर रहा है और हर शरीफ और समझदार नागरिक योगी आदित्यनाथ की तारीफ करता है और देश में योगी राज चाहता है।