नई दिल्ली।
अपराधी से नेता बने मुख्तार अंसारी, बेखौफ अपहरण, जमीन कब्जे, और हत्या करने वाले अपराधी का खौफजदा होकर हुआ अंत। मुख्तार अंसारी जमीन हड़पने, जबरन वसूली, अपहरण, पैसे लेकर हत्या करने, हत्या, हत्या की कोशिश और आर्म्स एक्ट सहित 65 मामलों का सामना कर रहा था।
वह ‘पोटा’ (आतंकवाद रोकथाम अधिनियम) और ‘मकोका’ (महाराष्ट्र संगठित अपराध अधिनियम) सहित दो और मामलों का सामना कर रहा था, जो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2009 में दर्ज किए थे।
वह कानून से नहीं डरता था। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1993 में क्राइम ब्रांच द्वारा एक अत्यधिक संवेदनशील मामले में गिरफ्तार किए जाने पर मुख्तार ने बेखौफ होकर खुद ही अपने जुर्मों के बारे में खुलासा किया था। यह मामला लुटियंस दिल्ली से एक कारोबारी का अपहरण करने और फिरौती मांगने से जुड़ा है।
दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी अशोक चंद ने अपहरण के इस मामले को याद करते हुए बताया कि गोयल अपनी लाल रंग की कार से यात्रा कर रहे थे और वह पंडारा रोड पर अपने दोस्त के जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने जा रहे थे तभी 7 दिसंबर 1993 को उनका अपहरण कर लिया गया था।
उन्होंने बताया कि अंसारी और उसके दो सहयोगियों ने गोयल को तिलक मार्ग इलाके से अगवा किया था। उन्होंने बताया कि उसके सहयोगियों ने पुलिस को बताया कि अंसारी दक्षिण दिल्ली के एक गेस्ट हाउस में ठहरा हुआ है, जिसके बाद उन्होंने उसे भी पकड़ लिया।
अशोक चंद ने कहा, ‘वह (अंसारी) उस वक्त करीब 30 साल का था, आत्मविश्वास से भरा हुआ और कानून को लेकर बेखौफ था। उन दिनों यह एक अत्यधिक संवेदनशील मामला था।’ अधिकारी ने बताया, ‘हमने उनके पास से राइफल और बड़ी संख्या में कारतूस बरामद की।’ उन्होंने कहा कि अंसारी एक बढ़िया निशानेबाज था और वह अपने सटीक निशाने को लेकर जाना जाता था।