पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती आगरा की प्रथम हरित साइकिल

आगरा।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करने का मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। इस धरा पर पेड़-पौधे,नदी,पर्वत, वायु,अग्नि,जल व ग्रह- नक्षत्र यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं,लेकिन बढ़ते हुए विकास के कारण मनुष्य पर्यावरण को निरंतर हानि पहुंचा रहा है।आज पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग आदि को कम करने व नियंत्रित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है।हम सभी को आज से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए जुट जाना चाहिए।

इसी क्रम में आगरा शहर को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही शहर की प्रथम हरित साइकिल आमजन के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।यह हरित साइकिल शहर में हरियाली के साथ ही पेड़ पौधों को ना काटने,जल बचाने,पॉलिथीन का उपयोग न करने(पॉलिथीन हटाने)के साथ ही कचरा ना फैलाने का संदेश शहर के आमजन तक पहुंचा रही है।

अपनी कई वर्षों पुरानी साइकिल को नया रूप रंग देकर व प्रकृति से जोड़कर प्रतिदिन चार से पांच किलोमीटर शहर के विभिन्न स्थानों पर चलाकर पर्यावरण संरक्षण के ऐसे संदेश आगरा शहर के पर्यावरणप्रेमी अमित लवानिया दे रहे हैं।वे विगत लगभग दस वर्षों से निरंतर समाजसेवा व पर्यावरण संरक्षण के कार्य में तन मन धन से निस्वार्थ भाव से लगे हुए हैं साथ ही आगरा शहर की विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़े हुए हैं।अमित लवानिया “दि आईकॉनिक ग्लोबल फाउंडेशन” आगरा के संस्थापक /अध्यक्ष भी हैं व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण उपक्रम “पर्यावरण संरक्षण गतिविधि” में आगरा महानगर से स्वयंसेवी संस्थान प्रमुख, छावनी महानगर के दायित्व का निर्वहन भी कर रहे हैं।

वे समाज में जन-जन से निरंतर पेड़-पौधे लगाने, जल बचाने,कचरा ना फैलाने,पॉलिथीन का उपयोग न करने,घरेलू सामान लाने के लिए कपड़े के थैलों का प्रयोग करने का आवाह्न भी करते रहते हैं। अमित लवानिया को बचपन से ही प्रकृति से बहुत लगाव है।उन्होंने विगत वर्षों में लगातार कई हफ्तों तक शहर में पेड़ लगाने का सफल कार्यक्रम आमजन के साथ किया था। वे लगाए हुए पेड़ अब जब बड़े हो गए हैं तो उनको बड़ी प्रसन्नता हुई और उन्होंने प्रण किया की प्रकृति संरक्षण के लिए आगे आने वाले समय में और भी जी-जान के साथ कार्य करते रहेंगे।

इसी क्रम में पर्यावरण संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का विचार उनके मन में आया जिसकी प्रेरणाश्रोत उनकी लगभग पांच वर्षीय बेटी यशस्वी लवानिया भी रही हैं जिनको इस छोटी सी उम्र में ही प्रकृति से बहुत लगाव है ।
पर्यावरण संरक्षण के संदेश को समाज के आमजन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अपनी कई वर्षों पुरानी लगभग अनुपयुक्त साइकिल को चुना।

काले रंग की जंग लगी हुई साइकिल को प्रकृति के गहरे व हल्के हरे रंगों से रंग कर फिर साइकिल पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाले विभिन्न रंगों के विभिन्न संदेशों को साइकिल के फ्रेम के विभिन्न हिस्सों पर लिखवाया है। पुरानी साइकिल को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाली हरित साइकिल में परिवर्तित करने के लिए अमित लवानिया को करीब दो महीने से अधिक का समय लगा।

प्रतिदिन कुछ न कुछ नया सोचना ,फिर उसे संशोधित करने का क्रम लगातार का कई दिनों तक चलता रहा और अभी भी प्रतिदिन वे अपनी हरित साइकिल में निरंतर कुछ न कुछ परिवर्तन कर रहे हैं।वे जब पेड़ पौधों व उनके बीजोंका वितरण करते हैं तो हरित साइकिल में आगे लगी टोकरी की हरे रंग से रंगी हुई दो चद्दर की प्लेट जन-जन में पौधे वितरण व सीड बैंक(बीज बैंक)का संदेश देती है।जब यह साइकिल किसी स्थान पर रूकती है तो पीछे से देखने पर यह हरित साइकिल ’राइड बाईसाइकल,सेव अर्थ’ अर्थात ’साइकिल चलाओ,पृथ्वी बचाओ’ का संदेश भी सभी को देती है।

पर्यावरणप्रेमी अमित लवानिया ने जीवन पर्यंत प्रकृति को बचाने व पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित रहने का संकल्प भी लिया है।वे जन-जन को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर अपने साथ जोड़ने का प्रयत्न सदैव करते रहेंगे।
उनको अपने देश भारत की मिट्टी के कण-कण से बेहद लगाव है। उनका कहना है कि हम सभी अपने भारत देश का ऋण जीवनपर्यंत नहीं चुका पाएंगे।अमित लवानिया व उनकी हरित साइकिल का जन जन को एक ही संदेश -हमारा भारत हो *“स्वच्छ भारत,श्रेष्ठ भारत,हरित भारत*

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