रूरल हेल्थ ट्रेनिंग सेंटर में नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज पर कार्यशाला का आयोजन

 

-नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल रोगों से लड़ने के लिए आईजीआईएमएस और डब्ल्यूएचओ करेंगे एक साथ प्रयास

-10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों में चलाया जायेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान

पटना।

राज्य में नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के उन्मूलन सहित स्वास्थ्य के विभिन्न मुद्दों पर आईजीआईएमएस और विश्व स्वास्थ्य संगठन एक साथ काम करेगी। यह जानकारी आईजीआईएमएस के एडिशनल प्रोफेसर डॉ सेतु सिन्हा ने जिला के मनेर स्थित रूरल हेल्थ ट्रेनिंग सेंटर में नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज पर आयोजित कार्यशाला के दौरान दी।

यह सेंटर आईजीआईएमएस की डिपार्टमेंट ऑफ़ कॉम्यूनिटी मेडिसिन द्वारा संचालित है। इस मौके पर उन्होंने कार्यशाला के उद्देश्य और एनटीडी रोगों की राज्य में स्थिति की चर्चा की। उन्होंने कहा कि 21 रोगों को एनटीडी में शामिल किया गया है। इनमें मुख्य रूप से फाइलेरिया, कुष्ठ रोग, कालाजार और सर्पदंश भी शामिल हैं। कार्यशाला की अध्यक्षता एडिशनल डायरेक्टर सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया डॉ परमेश्वर प्रसाद ने की।

कार्यक्रम में आईजीआईएमएस के सीनियर रेजिडेंट डॉ एस दानिश इकबाल ने पुष्प गुच्छ देकर आगंतुकों का स्वागत किया। आईजीआईएमएस के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ तजवार यासमीन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। मौके पर आईजीआईएमएस के सीनियर और जूनियर रेजिडेंट, फैकल्टी, पीएचसी के मेडिकल ऑफिसर सहित नर्स और अन्य अधिकारी मौजूद थे।

10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों में चलेगा अभियान:

इस दौरान डॉ परमेश्वर प्रसाद ने कहा कि 10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों में सर्वजन दवा सेवन(एमडीए) अभियान चलाया जाना है। इसे लेकर विभाग और सहयोगी संस्था दोनों साथ मिल कर काम कर रहे है।

उन्होंने बताया कि माइक्रो फाइलेरिया के प्रसार दर को रोकने के लिए सभी लोगों द्वारा एमडीए के दौरान दवा का सेवन करना जरुरी है। उन्होंने फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के लिए रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम के लिए व्यायाम सहित पैरों की नियमित साफ़-सफाई पर विस्तार से चर्चा भी किया।

वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्व्यक, एनटीडी, डॉ राजेश पांडेय ने एनटीडी रोगों की सूची में शामिल फाइलेरिया, कालाजार एवं लेप्रोसी पर तथ्यपरक जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि एनटीडी रोग वैश्विक स्तर पर लगभग 1.7 अरब लोगों को प्रभावित करता है। वर्ष 2022 में राज्य के किसी प्रखंड में कालाजार इन्सिडेन्स प्रति 10000 की जनसंख्या पर 1 से अधिक नहीं है. कुल 3 वर्षों यानी 2024 तक यदि यही स्थिति कायम रहती है तो कालाजार उन्मूलन घोषित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2027 तक निर्धारित किया है। इसको लेकर राज्य में 10 फ़रवरी से 24 जिलों एवं 10 अगस्त से शेष 14 जिलों में फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाने के लिए एमडीए कार्यक्रम चलाया जाता है। एनटीडी रोगों के प्रबन्धन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य विभाग के साथ अपडेटेड जानकारी साझा करता रहता है।

नेटवर्क सदस्य ने साझा किए अनुभव :

कार्यशाला में फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य सीता देवी को डॉ. परमेश्वर प्रसाद के द्वारा एमएमडीपी किट प्रदान किया गया। साथ ही सीता देवी ने फाइलेरिया प्रबंधन से होने वाले लाभ के अनुभव साझा किया। वहीं स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था पिरामल के डॉ इंद्रनाथ बनर्जी, लेप्रा के राज्य समन्वयक दिलीप सिंह, सीएफएआर के एसपीएम रणविजय कुमार, पीसीआई की डॉ. पंखुड़ी मिश्रा ने एनटीडी की रोकथाम और निदान में विभाग का साथ देने की बात कही।

कार्यशाला के दौरान कालाजार पर आईजीआईएमएस के सीनियर रेजिडेंट डॉ विकास कुमार, कुष्ठ रोग पर जूनियर रेजिडेंट डॉ मोहसिन तथा फाइलेरिया पर राज्य समन्वयक डॉ अनुज सिंह रावत और आईजीआईएमएस के जूनियर रेजिडेंट डॉ सुजीत कुमार ने अपने विचार रखें।

SHARE