डायरिया में शरीर में पानी की न होने दें कमी

-बरसात में पानी साफ कर करें इस्तेमाल
-बच्चों के शरीर की सफाई का रखें पूरा ख्याल
-आंत को प्रभावित करता है क्रोनिक डायरिया

लखीसराय।

बरसात के मौसम में डायरिया का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। इस मौसम में अपने साथ पूरे परिवार का रखें ख्याल, क्योंकि किसी भी बीमारी से निजात पाने के लिए सतर्कता बेहद जरूरी होती है। ये बीमारी तो कभी भी हो सकती है पर बरसात के मौसम में इसका खतरा सबसे अधिक होता है। बरसात के इस मौसम में विशेषकर डायरिया जैसे रोगों से बचने के लिए एवं उसकी पहचान करने के साथ बचाव हेतु उपाय बताया जा रहा है।

डायरिया से हो सकती है आंत की बीमारी
बार बार दस्त की हालत से ग्रसित होने को ही डायरिया कहा जाता है। यदि दिन में पांच या इससे भी अधिक बार मल त्याग करने के लिए जाना पड़े तो यह स्थिति चिंताजनक हो जाती है। डायरिया दो तरह के होते हैं। इनमें एक्यूट डायरिया व क्रॉनिक डायरिया है। एक्यूट डायरिया सप्ताह भर में ठीक हो जाता है, जबकि क्रॉनिक डायरिया आंत की कई तरह की बीमारी का कारण बन जाता है।

बासी खाना व खराब पानी से होता है संक्रमण-
खराब या बासी खाना खाना व प्रदूषित पानी पीना डायरिया होने का सबसे बड़ा कारण माना गया है। इससे वायरल संक्रमण होता और आंतों में बैक्टीरिया का संक्रमण हो जाता है। ऐसी स्थिति में भोजन पचाने की ताकत कम हो जाती है। साथ ही शरीर में पानी की कमी हो जाती है।

डीहाइड्रेशन से होती है पानी की कमी
डायरिया के शुरुआती लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी है ताकि समय रहते सही इलाज कराया जा सके। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार भारती ने बताया कि यदि दिन भर में चार से पांच बार या इससे भी अधिक दस्त हो जाता है तो यह डायरिया का लक्षण है। दस्त पतला होता और उसमें पानी की मात्रा अधिक होती है। बीमारी के बढ़ने के साथ ही आंतों में मरोड़ व पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द भी होने लगता है। उन्होंने बताया कि डायरिया को यदि जल्द काबू में नहीं लाया गया तो डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी व अन्य आवश्यक खनिज तत्वों की कमी हो जाती और मरीज बेहोश भी हो सकता है। यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।

उन्होंने बताया कि पांच साल तक के बच्चे डायरिया से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती है। इसलिए बच्चों की साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना जरूरी है। बच्चों द्वारा गंदी चीजों को छूने और शरीर के अंग जैसे मुंह, नाक व आंख आदि से भी संक्रमण हो सकता है। इन सबके अलावा बुजुर्ग ढ़े लोगों को डायरिया आसानी से संक्रमित करता है।

ओआरएस का घोल है कारगर –
बरसात के मौसम में पीने का पानी भी आसानी से प्रदूषित हो जाता है। पानी में भीगने में खेलने के कारण भी बच्चों में संक्रमण होता है। इस मौसम में खाने-पीने की चीजों को अच्छी तरह धोकर इस्तेमाल करें।
डायरिया से प्रभावित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए उसे ओआरएस का घोल देते रहें। साफ सुथरे तरीके से फलों के लिए निकाले जूस पीयें। पानी उबाल कर पीने के इस्तेमाल में लायें। डायरिया से बचाव का एक सफल तरीका यह है कि ठीक तरह से हाथ धोयें। खास कर बच्चों के हाथ धोने, शरीर साफ रखने आदि पर पूरा ध्यान दें।

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