विश्व की सबसे कठिन श्रीखंड कैलाश में 18,570 फीट पर जारी है सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस

 

उत्तरी भारत की सबसे  कठिनतम श्री खण्ड कैलाश यात्रा 14 जुलाई से आरम्भ हो चुकी है। शिव भक्तों के लिए पंच कैलाश की यात्रा काफी मायने रखती है  और यही कारण है कि शिव भक्त दुर्गम रास्तों को पार कर और अपनी जान जोखिम में डालकर भोलेनाथ के पांच तीर्थ स्थानों के दर्शन के लिए जाते हैं। भगवान शिव के तीर्थ में कैलाश पर्वत, मणिमहेश, किन्नर कैलाश, आदि कैलाश और श्रीखंड महादेव शामिल हैं।  देश के कोने-कोने से श्रद्धालु हर साल श्रीखंड महादेव के 72 फीट ऊंचे शिवलिंग की पूजा और अर्चना दर्शन के लिए श्रीखंड आते हैं।

18,570 फीट ऊंचाई पर श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर संकरे रास्तों में बर्फ के ग्लेशियरों का सफ़र करना होता है। इस यात्रा के दौरान ना तो कोई घोड़ा ना खच्चर ना ही पालकी जाती है।

सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर टीम ने सिंहगाड, थाचड़ू, कुनशा, भीम द्वार और यात्रा के अंतिम बेस पार्वती बाग में निशुल्क मेडिकल कैम्प स्थापित किये हैं। डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज, मेजर जनरल अतुल कौशिक, डॉ. सौविक चंद्र दत्ता,श्री  संजीव कुमार और 30 से अधिक पर्वतारोहण विशेषज्ञों की समर्पित टीम के नेतृत्व में मेडिकल सेवा प्रदान की जा रही है।  डॉ. प्रदीप भारद्वाज बताते हैं कि सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस टीम के सदस्य किसी भी परिस्थिति में सरवाइव कर सकते हैं, चाहे मौसम कोई भी हो और जगह कोई भी हो। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि उनकी टीम के सभी सदस्य मिलिट्री और पैरामिलिट्री फोर्सेज से प्रशिक्षित हैं। डॉ. भारद्वाज ने यह भी बताया कि वे किसी से भी दान नहीं लेते हैं और सभी यात्राओं में निशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करते आ रहे हैं। बिना किसी दान के महान कार्य करने के लिए उनकी टीम का समर्पण प्रशंसनीय है।

सिक्स सिग्मा मिशन की मुख्य बातें:

– स्वतंत्र संचालन: टीम अपना  टेंट, खाद्य आपूर्ति और चिकित्सा प्रावधानों के साथ पूरी तरह से सुसज्जित है, जिससे वे किसी भी परिस्थिति में स्वतंत्र रूप से काम करने में सक्षम हैं।
– सभी मौसम की तैयारी: चाहे अत्यधिक ठंड हो, लगातार तेज हवाएं हो, या अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन, सिक्स सिग्मा टीम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहती है।
– सर्वत्र उपलब्धता: उनकी सेवाएं किसी भी समय और स्थान पर उपलब्ध हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी यात्री बिना सहायता के न रहे।
– सेवा के प्रति समर्पण: “ना कोई दान, फिर भी कर रहे हैं काम महान” के आदर्श वाक्य के साथ, सिक्स सिग्मा टीम निस्वार्थ सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करती है, बिना किसी प्रतिफल की अपेक्षा के यात्रियों का समर्थन करने के लिए अपने प्रयासों को समर्पित करती है।

यह यात्रा सिक्स सिग्मा टीम की उच्चतम चुनौतियों वाले वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। श्रीखंड कैलाश यात्रा में उनकी उपस्थिति न केवल उच्च ऊंचाई वाले ट्रेक में चिकित्सा सहायता के महत्व को रेखांकित करती है, बल्कि सिक्स सिग्मा मेडिकल सर्विसेस की समर्पण और उत्कृष्टता की भावना को भी उजागर करती है।
इस वर्ष सिक्स सिग्मा की स्वास्थ्य सेवाएं श्री  केदारनाथ, बद्रीनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ , रुद्रनाथ तथा अमरनाथ जैसे उच्च ऊंचाई वाले कठिन क्षेत्रों में  भी सुचारू रूप से चल रही है।

श्रीखंड कैलाश की यात्रा पर जाने के लिए श्रद्धालुओं को कुछ ज़रूरी बातें ध्यान में रखनी चाहिए:

1. शारीरिक फिटनेस: पहले से ही अपनी फिटनेस पर काम करें।
2. एक्क्लिमेटाइज़ेशन: ऊंचाई की आदत डालने के लिए समय लें तथा पौष्टिक आहार ले और खुद को हाइड्रेट रखे ।
3. फ़र्स्ट एड किट: बेसिक फ़र्स्ट एड किट साथ लेकर चलें।
4. परमिट्स: ज़रूरी परमिट्स और आईडी प्रूफ्स लें।

5. लोकल कल्चर: लोकल कल्चर का सम्मान करें और कचरा न फेंकें।
6. सामूहिक यात्रा: अकेले जाने के बजाय समूह में गाइड तथा पोर्ट्स के साथ  यात्रा करें।
7. यात्रा का समय: दिन के समय यात्रा करने की कोशिश करें, रात में यात्रा से बचें।
8. मानसिक तैयारी: मानसिक रूप से तैयार रहें और सकारात्मक सोच रखें।
9. सुरक्षा उपकरण: सुरक्षा के लिए ट्रैकिंग पोल, टॉर्च,रेनकोट, ऊनी  कपड़े और सीटी साथ लेकर चलें।
10.हाइड्रेशन और खाना – पौष्टिक आहार , तथा पानी साथ के साथ साथ पर्याप्त नीद और आराम भी करे।

श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए जरूरी निर्देश

* यात्री अपना पंजीकरण अवश्य करायें।
* चिकित्सा प्रमाण पत्र अपने साथ लेकर आयें तथा बेस कैम्प सिंहगाड़ में स्वास्थ्य जांच अवश्य करायें। पूर्णतया स्वस्थ होने पर ही यात्रा करें।
* अकेले यात्रा न करें केवल साथियों के साथ ही यात्रा करें।
* चढ़ाई धीरे धीरे चढ़े सांस फूलने पर वहीं रुक जाए। छाता बरसाती गर्म कपड़े गम जूते टॉर्च एवं लाठी अपने साथ अवश्य लाएं।
* प्रशासन द्वारा निर्धारित रास्तों का प्रयोग करें।
* किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या हेतु निकटतम कैंप में संपर्क करें।
* सफाई का विशेष ध्यान रखें। दुर्लभ जड़ी बूटियां एवं अन्य पौधों के संरक्षण में सहयोग करें।
* इस यात्रा को पिकनिक अथवा मौज मस्ती के रूप में ना ले केवल भक्ति भाव एवं आस्था से ही तीर्थ यात्रा करें।
* सुबह 6 बजे से पहले और शाम 6 बजे के बाद बेस कैम्प सिंहगाड़ से यात्रा न करें।
* श्रीखंड महादेव की पवित्र चट्टान पर किसी भी प्रकार का चढ़ावा अन्य त्रिशूल इत्यादि आने के लिए ना ले जाएं।

यात्रा का इतिहास :-
पुराणिक मान्यता के अनुसार भस्मासुर एक राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या की और उनसे वरदान मांगा कि वह जिस पर भी अपने हाथ रख दे वह तुरंत भस्म हो जाए। महादेव ठहरे भोलेनाथ उन्होंने भस्मासुर को यह वरदान बस फिर क्या था भस्मासुर महादेव को ही भस्म करने के लिए उनके पीछे पड़ गया कहा जाता है कि उसे समय महादेव इसी स्थान पर श्रीखंड महादेव पर्वत श्रृंखला की एक गुफा में छुप गए थे।

तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरा और उन्होंने भस्मासुर के साथ नृत्य करते हुए उसे अपने ही सिर पर हाथ रखने के लिए विवश कर दिया इसके बाद भस्मासुर जलकर राख हो गया। तब कहीं जाकर महादेव उसे गुफा से बाहर निकले
मान्यता है कि इसी कारण आज भी यहां की मिट्टी दूर से लाल दिखाई देती है। कुल्लू के लोगों का मानना है कि महादेव आज भी श्रीखंड महादेव के रूप में यहां निवास करते हैं।

श्रीखंड महादेव कुल्लू जिले के निरमंड में स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए शिमला के रामपुर से कुल्लू निरमंड आना होता है। वहां से बागीपुल और जाओं तक कार या बस से जा सकते हैं। इसके बाद आगे का 35 किमी रास्ता पैदल तय करके ही श्रीखंड महादेव के दर्शन मिलते हैं।

रास्ते में यात्रियों के लिए 3 पड़ाव बनाए जाते हैं : सिंहगाड़, थाचडू और भीम डवार।श्रीखंड महादेव के पैदल मार्ग पर कई मंदिर भी पड़ते हैं, जाओं में माता पार्वती का मंदिर, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव का मंदिर, बकासुर वध स्थल, ढंक द्वार आदि कई पवित्र स्थान पड़ते हैं।

SHARE