वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट के दौरान सबकी निगाहें रेलवे के लिए होने वाले ऐलान पर भी लगी हुई थीं। हालांकि, बजट के दौरान रेलवे शब्द का जिक्र सिर्फ एक बार हुआ था, लेकिन बजट खत्म होने के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने करोड़ों रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी दी। रेल मंत्री ने मध्यम वर्ग और निम्न आय वाले परिवारों को खुशखबरी देते हुए कहा कि रेलवे अभी भी 2500 नॉन-एसी कोच बना रहा है और अगले तीन साल में 10,000 अतिरिक्त नॉन-एसी कोच बनाए जाएंगे।
रेलवे का उद्देश्य कम आय वाले परिवार और मध्यम वर्ग की यात्रा को सुरक्षित और किफायती बनाना है। भारतीय रेल हजारों किलोमीटर की यात्रा के लिए लगभग 450 रुपये की लागत पर विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान कर रही हैं।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय निवेश लगभग 35,000 करोड़ रुपये था। आज यह 2.62 लाख करोड़ रुपये है। यह रेलवे के लिए रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय है। रेलवे में इस तरह के निवेश के लिए मैं प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को धन्यवाद देता हूं।
भारतीय रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में वंदे भारत ट्रेनों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। भारतीय रेलवे द्वारा एक के बाद एक नई वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस मुद्दे पर जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से पूछा गया कि क्या भारतीय रेलवे का फोकस सिर्फ वंदे भारत और फ्लैगशिप ट्रेनों पर होगा, गरीबों के लिए ट्रेनों पर नहीं? तो इस सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि हमारे पास एक बड़ा निम्न आय वर्ग है और हम उस समूह को संबोधित कर रहे हैं। दूसरी ओर एक आकांक्षी वर्ग भी है जो आगे आ रहा है। इस महत्वाकांक्षी खंड को भी संबोधित करने की आवश्यकता है, इसलिए हम इन दोनों खंडों को संबोधित कर रहे हैं। आजकल अधिक से अधिक लोग नॉन-एसी यात्रा सेवा की मांग कर रहे हैं। इसलिए भारतीय रेलवे ने एक विशेष अभियान शुरू किया है। हम 2500 नॉन-एसी कोच बना रहे हैं। अगले 3 वर्षों में हम नियमित उत्पादन कार्यक्रम के अलावा 10,000 अतिरिक्त गैर-एसी कोच बनाएंगे।