लखीसराय जिले के 11 बच्चों के माता -पिता सुन सकेंगे अपने बच्चे के दिल की धड़कन

 

जाँच के लिए बच्चो को भेजा गया आईजीआइसी पटना

अहमदाबाद में बाल हृदय योजना अंतर्गत किया जाएगा आपरेशन

लखीसराय।

किसी दंपती को जब कोई संतान पैदा होता है। तब उनके खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है। पर जब उसी बच्चे के दिल में एक सुराख़ होने की खबर मां-बाप को मिलती है तो वही खुशी मायूसी में बदल जाता है। पर अब ऐसे मां -बाप को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योकि जिस बच्चे के दिल में किसी तरह का कोई छेद है तो वैसे बच्चे का सरकार के द्वारा निःशुल्क सफल इलाज किया जाता है। बस जरूरत है उन्हें अपने नजदीकी आरबीएसके टीम से संपर्क करने की जिनके बारे में अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्त्ता से संपर्क करने की।

इसी योजना के तहत जिले के कुल 11 बच्चों को जांच हेतु पटना के आईजीआइसी में भेजा गया है। ये जानकारी डीईआईसी सह आरबीएसके के कॉर्डिनेटर अंशु सिन्हा ने दी। उन्होंने बताया कि सुरजगढ़ा से 4, बड़हिया से 1, लखीसराय सदर से 2, हलसी से 4 बच्चो को शनिवार के दिन इको एवं अन्य हृदय जांच के लिए पटना भजे गया है। जांच से लौटने के बाद जरुरी कागजी कार्रवाई को पूरा करने के उपरांत उन्हें सफल इलाज के लिए सभी बच्चों को पटना भेजा जाएगा। जहां इन मासूम के दिल का आपरेशन किया जाएगा । जो पूरी तरह से निःशुल्क होगा।

अंशु बताती हैं की इस आपरेशन के बाद जिस बच्चे के माता -पिता अपने ही बच्चे के दिल की धड़कन ठीक सुन नहीं पा रहे थे वो सुन पाएंगे उनके दिल की धड़कन, देख पाएंगे अपने बच्चे को घर के आंगन में खेलते हुए है। राष्टीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत बाल हृदय योजना के द्वारा इन बच्चों को ये सुविधा मिल रही है।

– हृदय रोग के बच्चों का स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज जरूरी :
सिविल सर्जन डॉ .बीपी सिन्हा ने बताया, हृदय रोग से ग्रसित बच्चों का स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू होना जरूरी है। अन्यथा अन्य तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। डॉ सिन्हा ने बताया की जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका 03 सप्ताह से 03 माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है, उसका 06 से 18 माह एवं जिसका पैर टेढ़े-मेढ़े है, उसका 02 सप्ताह से 02 माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। इसलिए, जो उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे हैं, उसका अभिभावक अपने बच्चों का आरबीएसके टीम के सहयोग से समय पर निःशुल्क इलाज करा सकते हैं। उन्होंने बताया जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है। हमेशा सर्दी-खांसी रहती है। चेहरे, हाथ, होंठ नीला पड़ने लगता है। जिसके कारण गंभीर होने पर बच्चों के दिल में छेद हो जाता है।

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