दंगो का षड्यन्त्र, एसा क्या हुआ जो बिल को पढने – समझने में 5 दिन लग गये ?

 

जो ना समझे वो पागलखाने में अपना इलाज कराए।

नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में 09 नवम्बर को

तथा राज्यसभा में 11 नवम्बर को प्रचण्ड बहुमत से पारित हो गया था।

*इसके बाद 12,13,14 नवम्बर, लगातार 3 दिनों तक दिल्ली के सभी दंगाई बिल्कुल शांत रहे।*

ऐसा व्यवहार करते रहे मानो कहीं कुछ नहीं हुआ, कहीं कोई बिल पास नहीं हुआ।

लेकिन 14 नवम्बर को दिल्ली में कांग्रेस की रैली धूमधाम से सम्पन्न होने के बाद,
14 नवम्बर की रात तक इन दंगाईयों ने शांति ओढ़े रखी,
चुप्पी साधे रखी
*ताकि कांग्रेस की रैली में आए नेता कार्यकर्ता आराम से दिल्ली से निकल जाएं।*

*इन दंगाइयों को कांग्रेस की रैली शांतिपूर्ण माहौल में धूमधाम से निपट जाने देने की इतनी गहरी चिंता थी …*
*कि नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के 3 दिन बाद तक इन दंगाइयों ने अपने गुस्से पर पूरा काबू रखा।*

*14 नवम्बर को कांग्रेस की रैली धूमधाम से से सम्पन्न कराने के बाद इन दंगाइयों ने 15 नवम्बर से दिल्ली को देशविरोधी हिन्दूविरोधी दंगो की आग में झोंक दिया है।*

दिल्ली में आज भी यह आग जल रही है।

यह👆पूरा घटनाक्रम बहुत साफ सन्देश दे रहा है कि…
ये देशविरोधी हिन्दूविरोधी दंगाई किस पार्टी के पाले हुए गुलाम हैं.?

किस पार्टी द्वारा इन दंगाईयोंं को दूध पिलाया जा रहा है.?

किस पार्टी के इशारे पर ये दंगाई कुत्ते देश और हिन्दूओं के खिलाफ पागलों की तरह भौंक रहे हैं.?

किस पार्टी के इशारे पर ये दंगाई कुत्ते देश और हिन्दूओं को काटने के लिए बेचैन और बावले हो रहे हैं.?

इन👆सवालों का जवाब जिसको समझ में नहीं आ रहा वो पागलखाने में अपना इलाज कराए।

इस देश में गद्दार भरे पडें है।

हम सबका परम कर्तव्य है कि इन्हे पहचान कर इनसे सचेत रहे, ये वास्तविकता से अनजान होते है। लेकिन अपने आकाओं के इशारों पर ये कुछ भी कर सककते है।

इन्हे समझाना आवश्यक है। वैसे तो ये किसी मानते ही नही है, फिर भी हमें भरपूर प्रयास करना चाहिए।

इनका किसी देश, धर्म, समाज सेकोई लेना देना नही है।

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