स्वास्थ्य विभाग द्वारा सोमवार को मनाया गया विश्व एड्स दिवस – रैली निकालकर और हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से किया एचआईवी-एड्स के प्रति जागरुक

एचआईवी-एड्स के प्रति लोगों को किया जागरुक
– स्वास्थ्य विभाग द्वारा सोमवार को मनाया गया विश्व एड्स दिवस
– रैली निकालकर और हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से किया एचआईवी-एड्स के प्रति जागरुक
आगरा,
सोमवार को जनपद में विश्व एड्स दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जनपद में विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम आयोजित हुए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से जागरुकता रैली निकाली गई। रैली को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव एवं जिला क्षय रोग अधिकारी आगरा डॉ. सुखेश गुप्ता ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके साथ ही रैली के साथ सीएमओ कार्यालय में एचआईवी-एड्स की जागरूकता के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसमें कार्यालय के समस्त अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए।

इसके उपरांत कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी आगरा के मीटिंग सभागार कक्ष में जागरुकता गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी आगरा एवं जिला क्षय रोग अधिकारी आगरा द्वारा समस्त प्रतिभागियों को एचआईवी एड्स से संबंधित विषय पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गई।

सीएमओ ने कहा कि विश्व एड्स दिवस एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूकता फैलाने और एड्स पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति और समर्थन प्रदर्शित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाना, एड्स पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और एड्स के खिलाफ लड़ने के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूत करना है।

सीएमओ ने बताया कि प्रत्येक एचआईवी मरीज को छह माह तक टीबी से बचाव की दवा खाना अनिवार्य है। यह इसलिए है क्योंकि एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी होने का खतरा अधिक होता है। टीबी एक गंभीर संक्रमण है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है और अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह जानलेवा हो सकता है। एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी का खतरा अधिक होने के कई कारण हैं।

एक कारण यह है कि एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिससे शरीर टीबी जैसे संक्रमणों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। इसके अलावा, एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी के लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं और इसका इलाज अधिक कठिन हो सकता है। इसलिए, एचआईवी से पीड़ित लोगों को टीबी से बचाव की दवा खाना अनिवार्य है। यह दवा टीबी के संक्रमण को रोकने में मदद करती है और एचआईवी से पीड़ित लोगों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

जिला क्षय रोग व एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष 442 एचआईवी मरीजों को टीबी से बचाव की दवा खिलाई गई। जिन टीबी मरीजों को एचआईवी भी है, उनके टीबी का इलाज पूरा होने के बाद उन्हें भी छह माह तक टीबी से बचाव की दवा खिलाते हैं। लेकिन अगर ऐसे मरीज ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीज हैं तो उन्हें बचाव की दवा नहीं खिलाई जाती है।डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि इस समय जनपद में एचआईवी के 5149 सक्रिय मरीज हैं।

इस वित्तीय वर्ष में 420 नये एचआईवी मरीज पंजीकृत किये गये। इलाज के दौरान 13 एचआईवी मरीजों की मौत भी हुई है। इस वित्तीय वर्ष 27181 टीबी मरीज खोजे गए सभी की एचआईवी की जांच कराई गई जिस में से ऐसे 88 एचआईवी मरीज पंजीकृत किये गये हैं जिनमें टीबी की भी बीमारी निकली है। इन मरीजों को दोनों प्रकार की दवाएं साथ- साथ खिलाई जा रही हैं।

एसएन मेडिकल कॉलेज में लगा विशेष शिविर
एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा के एआरटी सेंटर पर एचआईवी, सिफलिस हैपेटाइटिस-बी और सी सहित टीबी की जांच करने के लिए शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एसएन मेडिकल कॉलेज जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ सुखेश गुप्ता एवं क्षय एवं वक्ष रोग विभाग से डॉ संतोष कुमार मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

विश्व एड्स दिवस के अवसर पर आयोजित सभी कार्यक्रमों में जनपद के समस्त आईसीटीसी/ पीपीटीसी काउंसलर, जनपद में कार्यरत विभिन्न एनजीओ के स्टाफ के द्वारा प्रतिभाग किया गया जिनमें जन चेतना सेवा समिति आगरा, चेतना सेवा समिति आगरा, पंचशील वैल्फेयर सोसाइटी आगरा, सीएससी विहान के प्रतिनिधि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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