फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए लक्ष्य के अनुरूप 80% लोगों ने दवा खाया
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाया जा रहा है सर्वजन दवा सेवन अभियान
खगड़िया।
फाइलेरिया बीमारी का नाम सुनते ही जेहन में हांथीपांव से ग्रसित मरीज का चित्र मन में उभर आता है। अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से एक बार ग्रसित हो जाता है बस इसी रूप में जीने के लिए विवश हो जाता है। ये बीमारी बस इसी रूप में हो ये कहा नहीं जा सकता है।
अगर हम समय पर फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए सर्वजन दवा सेवन अभियान में दवा का सेवन नहीं कहते हैं तो ये बीमारी शरीर के अन्य अंगों में भी होने की प्रबल संभावना बनी रहती है। ये कहते हुए जिला सिविल -सर्जन डॉ रमेंद्र कुमार ने बताया की अभी तक जिले में कुल 15,20,783 ने दवा खाई है। जो दवा खाने के लिए निर्धारित लक्ष्य का 80% है। जिले में दवा खाने के लिए 20,47,523 लोगों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
डॉ रमेंद्र ने बताया की इस अभियान में कुल 916 ड्रग टीम को लगाया गया है। टीम के साथ सभी प्रभारी को साफ निर्देश दिया है की लोग जरुर दवा खायें इसके लिए पूरे अभियान चलने तक मोनीटरिंग करते रहें एवं जो लोग दवा खाने से इनकार करें उन्हें फाइलेरिया जैसी बीमारी से होने वाले नुकसान को बतायें। साथ ही दवा खाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं है इस बात के लिए भी जागरूक करें।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि फाइलेरिया या हाथी पाँव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मादा क्यूलेस मच्छर के काटने से फैलता है। फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है।
फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे, हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
याद रखें :
* दो साल से कम उम्र के बच्चों को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलानी है
* गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी स्वस्थ लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करना है
• फाइलेरिया रोधी दवा कभी भी खाली पेट नहीं खानी है।