नई दिल्ली।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जो लोग वक्फ मुद्दे पर सरकार पर इल्जाम लगा रहे हैं, असल में उन्होंने बिल पढ़ा ही नहीं है। जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जंग का ऐलान किया है।
ज्यादातर विरोधी दलों जैसे कांग्रेस, सपा, तृणमूल, एनसीपी, मुस्लिम लीग, एआईएमआईएम, लेफ्ट फ्रंट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का साथ दिया है। जंतर मंतर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रदर्शन में सब ने एक सुर में कहा कि जो पार्टियां वक्फ बिल का समर्थन कर रही हैं, वे मुस्लिम विरोधी हैं, बीजेपी के साथ हैं, इसलिए मुसलमानों को ऐसी पार्टियों का बॉयकॉट करना चाहिए। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू को वो सेक्युलर मानते हैं, लेकिन उन्हें इस बात पर हैरानी है कि ये नेता भी नरेन्द्र मोदी के मुस्लिम विरोधी एजेंडे का समर्थन कर रहे हैं।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जो लोग सरकार पर इल्जाम लगा रहे हैं, असल में उन्होंने बिल पढ़ा ही नहीं हैं, ये लोग मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं और मौलानाओं की बातों से ये तो स्पष्ट है कि सबके अपने अपने हित हैं। वक्फ बिल से किसी को मतलब नहीं हैं। किसी को इससे फर्क नहीं पड़ता कि वक्फ बिल में है क्या, इसके प्रावधान क्या है, ये बिल किसी ने पढ़ा नहीं है क्योंकि ये अभी सामने आया ही नहीं है।
देशभर में नौ लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड के पास हैं। रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि देशभर में वक्फ बोर्ड की सवा लाख करोड़ रूपए की प्रॉपर्टीज हैं और सवा लाख करोड़ की प्रॉपर्टी से साल भर में सवा करोड़ रूपए की आमदनी हुई जबकि इतनी प्रॉपर्टी से कम से कम साढ़े बारह हजार करोड़ रूपए की इनकम होनी चाहिए।
ये साढ़े बारह हजार करोड़ रूपए किसकी जेब में जा रहे हैं? नुकसान किसका हो रहा है? अगर वक्फ की संपत्ति से आय होगी तो वो पैसा मुसलमानों के विकास के कामों में ही लगेगा। यह सब समझदार मुस्लिम तो समझते हैं, लेकिन अनपढ़ गरीब और मदरसे में पढ़े हुए लोगों को कौन समझाए कि उनके हक का पैसा पर्सनल लॉ बोर्ड के गिने चुने पदाधिकारियों के घर में जा रहा है।