केजरीवाल जीते तो इवीएम ठीक, नही जीते तो इवीएम को ही दोष पक्का।
जैसा कि सर्वविदित है कि आम आदमी पार्टी के मुखिया नाटकबाजी में तो मास्टर है।
तो अगली नोटंकी शुरु हो रही है 11फरवरी को 11 बजे।अगर परिणाम पक्ष में नही आये तो, चुनाव आयोग को देश विदेश मेंं बदनाम करने की।
आखिरी में पड़े 31.5% वोट ने कहीं केजरीवाल की हार की पटकथा तो नहीं लिख दी है?
सारे एग्जिट पोल फेवर में आने के बावजूद अरविंद केजरीवाल को हार का डर सता रहा है, और वो व उनका ईको-सिस्टम अभी से भाजपा पर EVM हैकिंग का आरोप लगाने लगा है। चुनावी इतिहास में यह पहली बार कि जिसके फेवर में एग्जिट पोल है, वह डरा हुआ है, और #EVM का मंत्र जाप रहा है। आप जानते हैं क्यों? आइए बिंदुवार समझते हैं:-
१) सभी एग्जिट पोल में आंकड़े दोपहर 2.30 से 3 बजे तक के हैं, जब केवल 30.18% वोट पड़े थे।
२) रात के 8 बजे तक वोटिंग हुई है, और वोट प्रतिशत 61.71% हुआ है।
३) एग्जिट पोल वालों ने सीधे-सीधे 31.5% मतदान को नेगलेक्ट कर दिया है। यह वह मतदाता हैं जो 4-6 के बीच पोलिंग स्टेशन पहुंचा था।
४) मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि केजरीवाल के पास न अपने कार्यकर्ता हैं, न बूथ प्रबंधन।
५) फिर यह आखिरी समय का ३१ फीसदी वोट किसने निकाला?
६) यह कैडरबेस पार्टी ने निकाला, और वह भाजपा है।
७) मुस्लिम इलाके में भी आखिर में 70% वोटिंग हुई, लेकिन वह १२-१५ विधानसभा ही है।
८) केजरीवाल के टेबल खाली पड़े थे, और भाजपाई घर से लोगों को निकाल-निकाल कर वोट करवा रहे थे।
९) 30.18% पर जब एग्जिट पोल भाजपा को 9-23 सीट दे रहे हैं, तो फिर आखिरी के 31.5% वोट में यदि 20% भी भाजपा को मिला तो फिर उसकी सीट कितनी हो जाएगी?
१०) केजरीवाल और उसका ईको सिस्टम कांग्रेस के वोट पर खेल रहा है, जबकि वह भूल रहा है कि आखिरी में पड़ा करीब 31% वोट में शायद ही कांग्रेस को पड़ा है।
केजरीवाल, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, प्रशांत किशोर और इनके पूरे ईको सिस्टम ने आखिरी में पड़े इसी 31.5% मतदान के डर से EVM राग छेड़ दिया है। संभवतः उन्हें हार का डर सता रहा है, जिसके लिए वह ईवीएम पर ठीकड़ा फोड़ कर अपने बचाव का रास्ता ढूंढ रहे हैं। 11 फरवरी को कोहराम मचना तय है। इंतजार करते हैं।
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