कोरोना वायरस से मुक्ति हेतु भारतीय संस्कृति एवं आयुर्वेद अपनाएं

दुनिया भर में कोहराम मचाने वाला कोरोना वायरस आखिर भारत तक भी पहुंच गया। सारी दुनिया में ही इसके रोगी मिल रहे हैं। चीन से सारी दुनिया में यह रोग फैल गया है। इस वायरस की गंभीरता को समझना होगा क्योंकि यह वायरस कई हजार लोगों की जान ले चुका है। कुछ लोगों का कहना है कि चीन में लाखों लोगों की जान ले चुका है। अब इसकी दस्तक अन्य देशों में भी दिखाई दे रही है। भारत में भी आ गया है लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति इससे बचने के बहुत से उपाय बताती है। आयुर्वेद इससे बचने के बहुत अच्छे उपाय बता रहा है। इसलिए हमें अधिक ना घबराते हुए इस विषय पर चिंतन करना है और इस वायरस को ध्यान से समझकर उसके उपचार करने होगें।

सबसे पहले जांच करें

कोरोना वायरस एक ऐसा खतरनाक वायरस है  जिसकी पहचान कई दिन तक नहीं होती। अब सवाल यह पैदा होता है कि अगर किसी को वायरस हो जाए तो उसे कैसे पता चलेगा कि उसे कोरोना वायरल हो चुका है।
इसकी जांच करने के लिये जानकारों का कहना है कि गहरी लंबी सांस लो जब हम गहरी लंबी सांस लेते हैं और फेफड़े अंदर बुला कर रखते हैं 10 – 15 सेकंड के लिए तो हमें खांसी नहीं आनी चाहिए, दम नहीं भूलना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ खांसी भी नहीं आई दम भी नहीं फूला तो इसका अर्थ यह हुआ कि कोरोना वायरस के लक्षण नहीं है।

एक उपाय ये भी है।

*2 लोंग*
*1 इलायची*
*1 कपूर कि टिक्की*
*1 फूल जावित्री का*

*यह सभी एक कपडे कि पुड़िया बनाएं और उसको हमेसा अपने अपने पॉकेट मे रखें।
कोई बायरस भी आपको नुकसान नहीं पंहुचा सकता अपने बच्चो को विशेष यह जरूर बना कर दें।

आयुर्वेद ही जीवन है सावधान:

★ सर्दी बिल्कुल नही होने दें ।
★ जुकाम बुखार आते ही *क्रोसिन एडवांस* सुबह दोपहर शाम को 1-1 गोली 2 बार लेवें।
★ विक्स का इन्हेलर पास में रखें।
★ रात सोते समय नाक कान गले और माथे पर विक्स लगावें।
★ज्यादा जरूरी लगे तो *Duonase* इनहेलर लेवें।
★Homeopathic medicine *Influenzinum 200* की एक ड्राप *हफ्ते में एक बार* सोने से पहले आधा कप पानी में डाल कर ले, ये बहुत सेफ preventive है।
लापरवाही बिल्कुल नही करें।
 डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।

कोरोना वायरस उज्जैन और अन्य जगहों पर दस्तक दे चुका हैं।
सरकारी मशीनरी संभावित संकट से निपटने के लिए चुपचाप तैयारी में जुट गई है। हम लोगों को भी सावधानी बरतना होगी।
ध्यान रखने की बात है कि चीन से भारत की बड़ी सीमा लगती है। मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, आसाम, सिक्किम, भूटान के रास्ते चीन के साथ हम लोगों की आवाजाही लगी ही रहती है।

चॉकलेट , आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, कोल्ड कॉफी, फास्ट फूड, ठंडा दूध, बासी मीठा दूध, बड़ा पाव, बेकरी की बनी चीजें, पेस्टी, केक *ये सब चीजें बंद करो।* कम से कम अप्रेल महीने तक, जब तक की वातावरण का टेम्प्रेचर 34-35 डिग्री नहीं हो जाता।

सबसे तत्काल, बहुत गंभीर, महत्वपूर्ण जानकारी –

स्वास्थ्य मंत्रालय की जनता के लिए आपातकालीन अधिसूचना है कि इस बार कोरोनावायरस इन्फ्लूएंजा का प्रकोप बहुत गंभीर और घातक है। संक्रमित होने के बाद कोई इलाज नहीं है।

 

रोकथाम विधि: अपने गले को नम रखना है, अपने गले को सूखने न दें। इस प्रकार अपनी प्यास को न पकड़ें क्योंकि एक बार जब आपके गले की झिल्ली सूख जाती है, तो वायरस आपके शरीर में 10 मिनट के भीतर आक्रमण करेगा।

उम्र के हिसाब से बच्चों के लिए 50-80cc गर्म पानी, 30-50cc पीएं। हर बार यू लगता है कि आपका गला सूखा है, तो इंतजार न करें, पानी जरूर पियें । एक बार में बहुत सारा पानी न पिएं , गले को नम रखने के लिए बार बार पानी पीना जारी रखें।

मार्च २०२० के अंत तक, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाएँ, खासतौर पर ट्रेन या सार्वजनिक परिवहन में आवश्यकतानुसार मास्क पहनें, तला-भुना या मसालेदार भोजन से बचें और विटामिन सी का सेवन करे ।
लक्षण / विवरण इस प्रकार हैं:

1. तेज बुखार
2. बुखार के बाद खांसी का आना
3. वयस्क आमतौर पर असहज महसूस करते हैं, सिरदर्द और मुख्य रूप से श्वसन संबंधित
4: अत्यधिक संक्रामक
स्वस्थ्य मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी डिजिटल निर्देश।

*कोरोना वायरस*

*लक्षण – हल्का बुखार, ज़ुकाम, सिर दर्द*

*उपचार – अभी उपलब्ध नही*

*संक्रमण के 7 दिन के अंदर मौत निश्चित*

यह रोग असल मे चमगादड़ और सांप में होता है, लेकिन चीन में चमगादड़ के सूप पीने की वजह से यह मनुष्यों में फैला है ! छींकने और सम्पर्क में आने से फैल रहा है यह खतरनाक वायरस !

बचाव –
● यात्रा करते वक़्त मास्क ज़रूर पहने !
● किसी भी जुकाम या सर्दी से पीड़ित व्यक्ति का तुरंत इलाज कराए।
● किसी भी हाल में किसी भी तरह का मांसाहार का जैसेे सांप, पशु और पक्षियों का सेवन बिल्कुल भी न करे।
● किसी व्यक्ति से हाथ मिलाने के बाद बिना धोए अपने आंख को न छुये।

हाथ जोडकर नमस्ते करें। भारतीय संस्कृति यही कहती है।

चीन से आया कोरोना वायरस भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए है क्योंकि? भारत में जो संस्कृति शुद्ध विचारों और वैज्ञानिक शोध अनुसंधान के बाद स्थापित की गई थी वो विश्व की आधुनिकता की व्यर्थ की दौड़ में कहीं पीछे छूट गई थी। इस आधुनिकता ने कितना नुकसान समाज का किया? कितने भयंकर बीमारियों को जन्म दिया। तरह तरह के रोग, संक्रमण, वायरस आज सारे समाज को प्रदूषित कर रहे हैं। अतः हमें वापस भारतीय संस्कृति की ओर लौटना ही होगा।

 

जैसे भारतीय संस्कृति मुर्दों को अर्थात शव को अर्थात मृत व्यक्ति को जलाने की अनुमति देती है ना कि दफनाने की। आज कोरोना वायरस पीडित मृत को जलाने से ही उसका अंत हो सकता है। दफनाने से वह और बढ़ सकता है जमीन को भी प्रदूषित कर सकता है।

 

इससे आगे बढ़ते हैं तो भारतीय संस्कृति में नमस्ते अर्थात नम + अस्ते अर्थात मैं आपको नमन करता हूं की वह परंपरा थी। हमारे यहां नमन करने की झुकने की सामने वाले के सम्मान में हाथ जोड़कर झुकने की परंपरा हमने उसे भुला दिया। हाथ मिलाने लगे आज दुनिया भर में केवल नमस्ते ही करने से सबका भला है। अन्यथा कोरोना वायरस फैलता ही जाएगा।

 

एक और भारतीय संस्कृति का पहलू है कि सभी जीवोंं पर दया करो। शाकाहारी बनोंं हमें जीव हत्या करना पाप बताया गया है। इसलिए दुनिया में सर्वाधिक मांसाहारी यानी सभी तरह का मांस खाने वाले चीन में यह वायरस आया है।

अब वह भी कहते हैं कि शाकाहारी बनोंं।

पशु पक्षी मत खाओ।

मांसाहार छोड़ो।

शवों को जलाओ।

हाथ जोडकर नमस्ते करों।

यह तो हमारे ऋषि मुनि। हजारों वर्ष पूर्व कह चुके हैं।

इतने क्रूर लोग हैं दुनिया में कोई जीव छोड़ते नहीं है। सारे जीवो को चीन वाले खा जाते हैं। पक्षियों के बच्चेंं खा जाते हैं। उनके अंडे खा जाते हैं। पक्षियों को खा जाते हैं। सांप खा जाते हैं। बिच्छू खा जाते हैं और पता नहीं क्या-क्या खा जाते हैं? कुत्ता, बिल्ली, भेड़िया, बकरा, गधा, घोड़ा कुछ नहीं छोड़ते।

 

तो भारतीय संस्कृति की मुख्यधारा शाकाहारी बनोंं ही अब काम आने वाला है।

इसके अलावा उनके पास कोई भी वैक्सीन नहीं है। अर्थात कोरोना वायरस का कोई भी टीका कोई भी दवाई उनके पास एलोपैथिक के पास या चाइना की किसी भी पैथी के पास नहीं है। लेकिन भारतीय संस्कृति में इसकी काट है। हमें वायरस ना लगे ऐसी विधा हमारे पास है और उसके भी लक्षण आयुर्वेद में मिलते हैं। आयुर्वेद ही समस्त सृष्टि का सबसे अच्छी चिकित्सा पद्धति है। इसलिए भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद अपनाएं जीवन सुखी और समृद्ध बनाएं।

 

श्री गुरु जी भू

लेखक : विश्व चिंतक, मुस्कान योग के प्रणेता, प्रकृति प्रेमी, वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव के संस्थापक,  विश्व मित्र परिवार के संस्थापक है।

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