– दोगुना होगी वेंटिलेटर की संख्या, 50 प्रतिशत तक बढ़ेंगे आईसीयू बेड
-950 बेड की व्यवस्था की गई, सैंपल लैब तैयार करने का काम शुरू
भागलपुर, 12 अप्रैल
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) को पूरी तरह से कोरोना मरीजों के अनुरूप तैयार कर लिया गया है। अब यहां पर 950 बेड की व्यवस्था की गयी है। अस्पताल को इस तरह से तैयार किया जा रहा है, जिससे कोरोना के गंभीर मरीजों की आसानी से यहां पर जान बचाई जा सके।
बिहार स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव द्वारा जारी पत्र के अनुसार, मायागंज अस्पताल में वेंटिलेटरों की संख्या में 225 प्रतिशत तक वृद्धि होगी एवं आईसीयू में बेड की संख्या में 50 प्रतिशत तक बढ़ाई जाएगी। अभी मायागंज अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 12 वेंटिलेटर हैं, जिन्हें बढ़ाकर 27 तक किया जायेगा। मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने रविवार को कहा कि उन्होंने 40 और वेंटिलेटर को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा था। मौजूदा वक्त में आईसीयू बेड की संख्या 36 को बढ़ाकर 51 तक किया जायेगा। इसे लेकर अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि इंडोर बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर 34 आईसीयू बेड व प्रथम तल पर 8 आईसीयू बेड पूरी तरह से तैयार हैं। 9 और आईसीयू बेड को दो से तीन दिनों के अंदर बढ़ा दिया जायेगा।
कल्चर एंड डीएसटी लैब में खुलेगी कोरोना लैब:
मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने बताया कि कल्चर एंड डीएसटी लैब को कोरोना लैब में परिवर्तित किये जाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। एक दो दिन में बांका से सीबी नॉट मशीन आ जायेगी। जांच के लिए माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट व लैब टेक्नीशियन का प्रशिक्षण जारी है। बस अब फ्रांस से आ रहे कोरोना टेस्ट किट का इंतजार है। उम्मीद है कि 15 अप्रैल तक किट आ जायेगा। फिर पूर्णिया, कोसी व भागलपुर के नौ जिलों के कोरोना मरीजों के सैंपल की जांच यहीं पर होगा।
इन-इन मरीजों को कोरोना से खतरा ज्यादा:
अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड के नोडल प्रभारी डॉ. हेमशंकर शर्मा ने बताते हैं कि अगर किसी की उम्र 65 वर्ष से ज्यादा है और साथ ही उसे हाईपरटेंशन, शुगर, ह्रदय रोग, किडनी, कैंसर, टीबी-एमडीआर रोग है तो सामान्य व्यक्ति की तुलना में इनकी कोरोना से जान जाने का खतरा ज्यादा है। ऐसे मरीजों की जान बचाने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होगी। इसी को लेकर यह कवायद की जा रही है। या फिर वैसे कोरोना के मरीज जिनका ह्रदय, मस्तिष्क की कार्यक्षमता में बेहद कमी होगी, उनका भी वेंटिलेटरयुक्त आईसीयू में इलाज करने के जान बचायी जा सकेगी।