इस तरह आज हमारा स्कोप ऑफ़ सर्विस भारत सहित संपूर्ण विश्व तक खुला है। हम भले ही फील्ड से गायब हो या यूं कहें कि साजिशन गायब रखा गया है तो भी भारत सहित सारा विश्व आज ट्रेडिशनल हेल्थ केयर सिस्टम की राह टकटकी लगाए देख रहा है तथा तलाश कर रहा है हमे अपने कष्टों के निदानार्थ। विश्व की भारत से उम्मीद है कि वह कोई राह दिखाएं। यह इस कारण नहीं कि भारत मॉडर्न मेडिसिन में बड़ा एडवांस्ड है अपितु कारण है कि वह भी जानते हैं कि हमारे पास परंपरागत प्राचीन चिकित्सा पद्धति के रूप में एक रामबाण है। यह एक सुनहरा अवसर है ट्रेडिशनल हेल्थ केयर सिस्टम को एक नई जान देने का विश्व को सही ट्रैक पर लाने का। आपके कहीं की वचनों की महत्ता जितनी आज है उतनी पहले कभी ना थी विश्व के लिए। पर शायद आप सोचे कि पता नहीं मैं आज एक इंडिविजुअल जो करना चाहता हूं, आज के परिपेक्ष में पता नहीं मैं वह कर पाऊंगा या नहीं इस संगठन में रहकर। यदि आप ऐसा सोचते हैं तो कृपया ध्यान से सुने ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कॉपरेटिव का अपना ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो आपके लक्ष्य से अलग हो। क्या है आपका लक्ष्य ? पैसा कमाना, तो यहां कमाने की कोई सीमा नहीं ।दान करने का लक्ष्य है ? तो यहां दान करने की भी कोई रोक नहीं। रिसर्च करना चाहते हैं ? तो शौक से करें। सेवा करना चाहते हैं ? तो भी कोई रोक नहीं है। जॉब करने की आकांक्षा है ? तो वह भी मजे से करें। आप जो- जो, जितना- जितना सोच सकते हैं ? वह सब यहां पा सकते हैं। क्योंकि यह आपका, आपके द्वारा, आपके लिए ही बनाया जा रहा है। सामान्य परिस्थितियों में अशांति काल में तो आपको अपनी बात लोगों को समझाने के लिए बहुत प्रयत्न करना पड़ता, परंतु इस जैविक युद्ध के काल में दो लोग स्वतः प्रेरित हो मानस तैयार करके बैठे हैं। हमें तो केवल दिशा देनी है, जन भावनाओं को। काम करना जितना निश कंटक, सरल तथा कम खर्चीला आज है, उतना शायद आगे कभी ना होगा । भूमिका तैयार स्वयं ईश्वर ने कर रखी है। ऐसा समझें कि अब विधान, विधाता ने तैयार कर रखा है। हमें केवल कर्म कर उसे फल स्वरुप पाने की देरी है। आने वाला समय निश्चित ही स्वर्णिम होगा। यदि हम साथ होंगे तो हमारे हिस्से मे भी आएगी, नहीं तो किसी और की भाग्य में जाएगी। लेकिन इस परिकल्पना का चरितार्थ होना तो निश्चित है।
इस समय के युद्ध के योद्धा तो हम सब ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर ही हैं और हमें ही तो सब कुछ करना है। सारा भार इस समय हमारे कंधों पर है। यह लॉक डाउन के रूप में देश बंदी का उपाय सुझाना अंतरराष्ट्रीय एलोपैथी लॉबी की एक चाल है, जिससे वह अपनी नाकामी को थोड़ा टाल सके, डर का वातावरण तैयार कर fear-mongering यानी डर का व्यापार कर सके तथा बाकी सभी पद्धतियों को कानून द्वारा रोककर दवा बनाने के लिए कुछ समय और चुरा सके, जिससे केवल वही सब और देवदूत की भूमिका में दिखे। डर ऐसा तैयार कर दिया गया है तथा लॉक डाउन से ऐसी आर्थिक क्षति की जा रही है जिससे उनकी वैक्सीनेशन के लिए हैवी डिमांड बनाई जा सके और कंपलसरी कर हर किसी को देने का कानून बना अपना मुनाफा कई गुना बढ़ाया जा सके। कोई विकल्प इस बीच सिर ना उठा ले इस कारण बाकी सभी अलहदा हेल्थ केयर सिस्टम्स को रोका जा रहा है। कोरोना युग और लॉक डाउन प्रकरण के बाद सब बदल जाएगा ।अतः हम यानी ट्रेडिशनल हेल्थ केयर सिस्टम के प्रैक्टिशनर्स को भी बदलना होगा । परिवर्तन स्वीकार करना होगा और नवीनतम बनना होगा । अन्यथा हम पीछे छूटते- छूटते नष्ट हो जाएंगे। हमें सब विधि अपनानी होगी स्वयं को तथा अपने कार्य क्षेत्र को आने वाली चुनौतियों के अनुसार रूपांतरित करना होगा। सब विधा का उपयोग करते हुए हमें अधर्म की धारा को धर्म के सागर में समाहित करना होगा जगत को जगदीश की ओर मोड़ना ही होगा। असत्य को सत्य की ओर ले जाना ही होगा। । किसी भी विषय वस्तु या ज्ञान से परहेज ना करते हुए सबका विवेकशील उपयोग करना होगा कल्याणार्थ। जो जिस भाषा में समझे उसे उसी भाषा में समझाना होगा। शत्रु के शस्त्र से अपना युद्ध जीतना होगा। इसबार हम विजई हो, तो फिर अपने अनुसार अपनी सत्ता चलाई जा सकती है। पराधीनता में तो परम लक्ष्य पहले स्वतंत्रता होनी चाहिए। आज आसुरी दुष्ट शक्तियों ने अपना पूरा इकोसिस्टम तैयार कर लिया है। आज गलत करने के लिए, पथभ्रष्ट होने के लिए अधर्म का रास्ता अपनाने के लिए, तो भरपूर विकल्प दिए जा रहे हैं तथा सब ओर से इसके लिए निरंतर प्रेरणा भी मिल रही है, इन कुबुद्धि शक्तियों द्वारा। परंतु सत्य पथ चलने की ना तो प्रेरणा ही पर्याप्त मिल रही है ना ही धर्म के विकल्प ढूंढने से भी मिलते हैं। जब प्रचार से आजकल किसी भी वस्तु की डिमांड क्रिएट कर कुछ भी कराया जा सकता है, जब आधुनिकता को बर्बादी का कारण बनाया जा सकता है, तो क्यों ना भोगवादीता के इस दौर में सत्य पदार्थ का धर्म सम्मत विषय वस्तुओं का भोग कराएं। क्यों ना शत्रु के वार को उसी की ओर मोड़े। आखिरकार चाकू तो चाकू ही है। उससे कत्ल होगा या इलाज यह तो चाकू पकड़ने वाले पर निर्भर करता है, चाकू पर नहीं। ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव एक प्रयास है, जिससे अनेक कुपथों के बीच एक सत्य पथ का विकल्प दिया जा सके। सात्विक शक्तियों का भी अपना इकोसिस्टम बिल्ड किया जा सके। इन्हीं विशेषताओं के कारण ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव आज समय की आवश्यक मांग बनकर उभरा है।
अब बात करते हैं कि आखिर कोरोना काल में ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव तथा ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स की क्या भूमिका होगी ।इस समय में हम क्या कर सकते हैं ? कोविड-19 की कोई दवा एलोपैथी के पास तो है नहीं और इससे सबसे ज्यादा खतरा वृद्धों तथा कमजोर शरीर वालों को अधिक है। इसी से जुड़ी एक और समस्या है लॉक डाउन देश की आर्थिक स्वास्थ्य को हानि कर रहा है । तीसरी जुड़ती समस्या है एलोपैथी का बनता और बढ़ता हुआ बाजार कोरोना के डर के कारण।
हम क्या कर सकते हैं?
पहले तो यह है कि हमारे पास इम्यून सिस्टम बिल्ड करने और बूस्ट करने के ढेरों ट्रेडिशनल उपाय हैं और वायरस के प्रति एंटीबॉडीज शरीर ही बना सकता है। इम्यून सिस्टम मजबूत रहेगा तो हम कभी भी किसी भी वायरस या रोगों से लड़ पाएंगे।अतः पोलियो के तर्ज पर ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स, ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कॉपरेटिव के माध्यम से देश भर में इम्यूनाइजेशन या इम्यून बूस्टिंग प्रोग्राम चला सकते हैं।
जो पहले से किसी रोगों से ग्रसित हैं उनके गंभीर रोगों के इलाज के साथ-साथ इम्यूनिटी बूस्टिंग भी कर सकते हैं पोलियो के तर्ज पर।
जो कमजोर हैं, अंडरनरिश्ड हैं या कम बल वाले हैं, उनको सुपरफूड्स के माध्यम से नरिशमेंट तथा इम्यूनिटी बूस्टिंग का कार्यक्रम चलाया जा सकता है।
हम लोग फर्स्ट लाइन ऑफ अटैक प्रीवेंशन, प्रिकॉशन एंड डिफेंस बनकर प्रायमरी सोर्स ऑफ वायरस इंटरसेक्शन एंड ट्रीटमेंट पॉइंट्स की तरह से काम कर सकते हैं ।क्योंकि 90 परसेंट केसेस माइल्ड सिम्टम्स के बाद स्वस्थ होकर घर चले जाते हैं। इसके लिए हम अपने क्लीनिक या ट्रीटमेंट सेंटर्स को यूज कर उन्हें कोविड क्वॉरेंटाइन एंड ट्रीटमेंट सेंटर्स में बदल सकते हैं।हमें इसके लिए रिवर्स इंटीग्रेशन भी करना पड़ सकता है, यानी एलोपैथी के लाइफ सपोर्ट सिस्टम्स और बाकी महत्वपूर्ण उपकरणों का शायद इमरजेंसी के लिए तैयार रहने की दृष्टि से उपयोग करना पड़ सकता है। दवाइयां तो हमारे पास है ही और वह भी कस्टमाइज्ड यानी डिफरेंट बॉडीज डिफरेंट मेडिसिंस।
यह हुआ कीपिंग हेल्दी। इससे हॉस्पिटल्स का दबाव कम हो जाएगा और केवल इमरजेंसी केसेस ही वहां जाएंगे। हम हॉस्पिटल प्रशासन और पब्लिक को जोड़ने वाली कड़ी बन सकेंगे, जो थ्री वे कन्वर्सेशन एंड कनेक्टिविटी स्थापित करेगा।
हम कोविड 19 का सिंप्टोमेटिक ट्रीटमेंट भी कर सकते हैं। हर टेंटेटिव या कन्फर्म डिपॉजिटिव केसेस का, जो कि ज्यादा सीरियस ना हो तथा उन सबका भी जो कोविड 19 से नहीं, अपितु नॉर्मल viral अटैक से पीड़ित है।
चौथा हम घरों में बंद लोगों के लिए उनकी फिटनेस बनाने या मेंटेन रखने की दृष्टि से योग आदि फिजिकल एक्टिविटी या बीइंग हेल्दी एक्टिविटीज ऑर्गेनाइज कर सकते हैं जो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए करी जाएंगी।
हम टेलीमेडिसिन, सेल्फ मेडिकेयर, self-help, लइव चार्ट, डिस्टेंस सोशलाइजिंग आदि जैसे कार्यक्रम भी कर सकते हैं।
मोबाइल ट्रेडिशनल क्लिनिक्स भी चला सकते हैं गांव-गांव तक। ।
हम काउंसलर, मोरल बूस्टर, मोटिवेशनल स्पीकर, मेडिटेशन टीचर आदि की तरह भी काम कर इमोशनली फिट, एनर्जेटिक, उत्साहित तथा आत्मविश्वास भर ने भी काम कर सकते हैं।
हम एक सोशल एजेंट के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका अदा कर सकते हैं।
अवेयरनेस क्रिएटर तथा सोशल पुलिस के रूप में लोगों की सेवा तथा उन्हें समझाने का कार्य कर सकते हैं।
पोस्टमैन बन सरकार की आवाज, संदेश तथा सेवाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं तथा उन लोगों के सेंटीमेंट्स सरकारी तंत्र तक पहुंचा सकते हैं। यह हमारे रोल का विस्तृत रूप होगा।
हम अपनी भूमिका को और बढ़ाते हुए टेस्टिंग एजेंट या सैंपल कलेक्टर या फिर सहमति बनने पर डायग्नोस्टिक सेंटर भी बन अथवा बना सकते हैं।
एंबुलेंस सेवा भी दे सकते हैं।
हम रिसर्च कराकर प्राकृतिक उपचार निकाल कर देश को कोरोना के दंश तथा आर्थिक षड्यंत्र से मुक्त भी करा सकते हैं।
अपना प्राकृतिक सैनिटाइजर भी बनाकर तथा टेस्ट कराकर विकल्प के तौर पर दे सकते हैं।
यदि बीइंग हेल्दी, कीपिंग हेल्दी और रेगुलर एक्टिविटीज चेकअप आदि चलते रहे तो हम देश में मृत्यु दर कोरोना की वजह से जो होती है, उन्हें घटा पाएंगे तथा देश और देशवासियों का सर्वाइवर लिंकिंग जो अभी साजिशन जगाया गया है, उसे शांत कर कोरोना के भय को खत्म कर सकते हैं।
इससे एलोपैथिक के नए बनते तथा बढ़ते मार्केट को लगाम लगाकर लॉक टाउन भी जल्द खत्म कराया जा सकता है ।
एलोपैथी लॉबी की fear-mongering यानी डर के व्यापार पर रोक लगा उनके षड्यंत्र ऊपर पानी फेरा जा सकता है।
यही नहीं लोगों को कोविड 19 प्रीवेंशन एंड प्रिकॉशंस की डिस्टेंस लर्निंग ट्रेनिंग देकर डिसिप्लिन में लाकर लॉग डाउन खत्म करा ताइवान देश की भांति बिना आर्थिक नुकसान झेले अपने देश को पुनः ट्रैक पर ला सकते हैं।
इसके सपोर्ट में हम कॉरपोरेट्स से साझेदारी में वहां भी बीइंग हेल्दी और कीपिंग हेल्दी के कार्यक्रम करा वर्कफोर्स तथा वर्कप्लेस को स्वस्थ रख करोना और लॉग डाउन से निजाद ले सकते हैं। ऐसा करने से हम ना सिर्फ इंडिविजुअल्स पर बल्कि कॉरपोरेट्स तक पर पकड़ बना सकेंगे और लोगों के साथ-साथ कॉर्पोरेट लाइफस्टाइल को भी सुधार पाएंगे।
हम ट्रेडिशनल प्रोडक्ट्स मैन्युफैक्चरिंग जैसे ट्रेडिशनल मास्क बनाना जिसमें कुछ इनहेलर जैसा हो तथा उसका फैब्रिक एलोवेरा से बना हो जिससे स्किन स्किन भी स्वस्थ रहे। ट्रेडिशनल सैनिटाइजर, ट्रेडिशनल प्रीवेंटिव मेडिसिन, ट्रेडिशनल काऊ डंग पेंट या एंटीवायरल पेंट फ्लोर क्लीनर, क्लाथ आदि वह सब बना सकते हैं जो कि एंटीवायरल हो तथा वायरस के प्रकोप से बचाव कर सकें। यह सब एक्सपोर्ट होंगे।
हम एंटीवायरल ड्रिंक्स, एंटीवायरल फूड्स, ट्रेडिशनल हैंडवाश और हर एंटीवायरल चीज बना सकते हैं जो कि आज विश्व की डिमांड है।
यह सब हम तब कर सकते हैं जब हमारी सरकारी तंत्र हमें कुछ भी करने की अनुमति दें। सरकार पर दबाव है अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय एलोपैथिक लॉबी का जिसने अपने तर्कों को तथा तथ्यों के साथ-साथ अपने आर्थिक बल से भी ट्रेडिशनल हेल्थ केयर सिस्टम की मिट्टी पलीत कर रखी है तथा आज यह लॉबी ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर को व उनकी विद्या को अपनी काख में दबाए घूम रहा है। इन सब की काट के तौर पर हमने यह लक्ष्य रखा है कि हम 15 अप्रैल 2020 तक अपनी कम से कम दो लाख ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स की संख्या बल इकट्ठा करें। उनका thpc.witho.org पर रजिस्ट्रेशन कराएं।15 अप्रैल की तारीख तक 500 से 1000 करोड़ के प्रारंभिक फंड बेस तैयार कर दो लाख ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स का 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से दिल्ली में मिले और सरकार को अपनी कार्ययोजना संख्या बल आर्थिक सामर्थ्य दिखाकर यह दबाव बनाए कि हमें भी विपत्ति काल में हमारी सेवा देने तथा कार्य योजना पर काम करने का अविलंब अप्रूवल तथा परमिशन सरकार से मिले ताकि हम भी बाकी हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर्स की तरह अपना काम कर सकें। सभी ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर से मैं यह कहना चाहूंगा कि यदि समस्या आपकी है तो उसका निराकरण भी आप ही से होगा । किसी भ्रम में ना रहे कि सरकार आपकी हितैषी है या विश्व आपका आदर करता है, तो आप की लड़ाई आप के स्थान पर कोई दूसरा लड़ेगा ।यह मुंगेरीलाल के हसीन सपनों से बाहर आइए और सत्य का सामना करें। हमें ही अपनी लड़ाई लड़नी है और विश्व की ताकतों पर विजय पाना है। कोई आपको सोने के चम्मच से मुंह में नहीं खिलाएगा और खिलाए तो खाना भी नहीं चाहिए। क्योंकि अपना हाथ जगन्नाथ। लड़ने से पहले हमें स्वयं को तैयार करना होगा और स्वयं को बनाने के लिए पहले ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स को खुद पर निवेश करना होगा ही और उनका पैसा उनकी अपनी एंटरप्राइज यानी कोऑपरेटिव में होगा जिसके वही मालिक होंगे और जिसे वह अपनी रजामंदी से उपयोग में लाएंगे ।इस एंटरप्राइज में हमारा यानी मेरा पर्सनल कुछ नहीं होगा, कोई शेयर होल्डिंग नहीं होगी। ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स को समझना होगा कि यह उनका गोल्डन पीरियड है और सभी जनता ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स की ही मांग कर रही है और उनको ही इस समय देखना चाहती हैं। यानी अभी के सुपात्र ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनरस ही है। मंजिल स्वतः नजदीक आ गई है। बस हाथ बढ़ाकर उसे पाने की देरी है, परंतु यदि प्रैक्टिशनर्स स्वयं की मदद नहीं करेंगे तो भगवान भी उनकी मदद नहीं करेगा ।आज के दौर में किए हुए कर्म, वह इन्वेस्टमेंट है जो कल उन्हें कई गुना होकर मिलेगी। प्रैक्टिशनर से अनुरोध है कि वह अपॉर्चुनिटी को पहचाने और दायित्व निर्वहन करें। यदि जल्दी कदम ना उठाया तो बस यही बाकी रह जाएगा कहने को कि “लम्हों ने खता की है और सदियों ने सजा पाई”।
ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव के बन जाने के बाद आप भी एक लॉबी द्वारा backed ट्रेडिशनल हेल्थ केयर सिस्टम के सशक्त प्रतिनिधि कहलाएंगे। आपकी इमेज मेकओवर होगी। कोई संगठित शक्ति होगी जो सदैव आपके हित के लिए सोचेगी ।हर तरह से आपकी उन्नति हो यह सुनिश्चित करेगी ।, इसके बन जाने के बाद आप भी सेकंड टू नन होंगे।ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव एलोपैथिक का चैलेंजर और कंप्टीटर ही नहीं बल्कि एलोपैथी लॉबी का एक सोशल ऑडिटर भी होगा। । ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स की देवदूत की छवि तथा ईश्वर तुल्य आदर फिर से लौटेगा जनसाधारण में। ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव का लक्ष्य कोरोना से जीतना भर नहीं है अपितु कोरोना का सहारा लेकर अंतिम लक्ष्य यानी विश्व गुरु भारत को साधना है। इस प्रयास के सफल होने से ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर तथा ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव एक एजेंट आफ चेंज बनकर उभरेंगे ।प्रगति का एक नायाब सिंबल कहलाएंगे, जिससे चेन रिएक्शन होगा और भारत सहित समस्त विश्व पुनः हर क्षेत्र में प्राचीन परंपरागत ज्ञान की ओर रुख करेगा। शायद इसी से राम राज्य आ जाए या कम से कम शुरुआत ही हो जाए। ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड सहकारी फ्रेमवर्क में होने के कारण एक बहुत पात्र संगठन बनेगा जिसके पास आय के स्त्रोतों की भी कोई कमी नहीं होगी। यह मॉडल विश्व के लिए अचंभित करने वाला होगा जो कि सभी अनुकरण करेंगे और भारत तथा भारतीय ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स विश्व मे इस क्षेत्र के लीडर बनकर रहेंगे। अंत में केवल यह आशा है कि हम सब ट्रेडिशनल हेल्थ केयर प्रैक्टिशनर्स अपने प्राचीन ग्रंथों में उद्घोष अपने पूर्वजों की आज्ञा तथा सफलता के सूत्र का अनुकरण करें जो कहता हैः
संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम।
देवा भागम यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते।।
तथा अपनी भ्रांतियों को मन की शंकाओं को विराम देकर राष्ट्रीय यज्ञ में अपनी आहुति दें क्योंकिः
सबै भूमि गोपाल की या में अटक कहां।
जिसके मन में अटक है सो ही अटक रहा।।
धन्यवाद !!!
डाॅ0 राजेंद्र बानपस्थी