विरोधियों के पास नकली रोना रोने के अनेकोनेक बहाने है।

रोने वालों को तो रोने का बहाना ही चाहिये!

किस देश में विरोधी तत्वों का एक ऐसा जमावड़ा है। कुछ सत्ता के भूखे भेड़िए हैं। उनको सरकार कोई भी अच्छा काम करने चलें उनको केवल विरोध करना है। विरोध की राजनीति करनी है। विरोध पर ही जीवित रहना है। जनता के लिये झूठ का रोना रोना हैं। जनता से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए अपने आप को खड़ा रखने के लिए, अपने आप को समाचारों में रखने के लिए बस कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं। इसी से समाज को बरगलाने का, बहलाने का, झूठ फैलाने का कार्य करते हैं। उनको सिर्फ रोना है। रोने से ही मतलब है। झूठे आंसू, झूठा रोना और अपनी सत्ता की भूख का रोना है, जनता तो बहाना है।

 

 

◆आज वे पैदल जाते मज़दूरों पर रो रहे हैं!
◆कल को जिन के विवाह स्थगित होंगे उन पर रोयेंगे!
◆सरकार के कोरोना रोकने के प्रयासों (लॉक डाउन) पर!
◆यदि फैल गया तो लोगों की लाशों पर!
◆यदि लोग न मरे तो अर्थव्यवस्था पर!
◆अर्थव्यवस्था को संभाल लिया तो सेंसेक्स के गिरने पर!
◆सेंसेक्स उठ गया तो जीडीपी पर!
◆GDP growth सही आ गयी तो उस के caculation method पर!
◆उस से सन्तुष्ट कर दिया तो रुपये की गिरती कीमत पर!
◆रुपया चढ़ गया तो महंगाई पर!
◆महंगाई घट गई तो किसानों की दुर्दशा पर!
◆किसानों को सीधा लाभ दे दिया तो उसके बहुत कम होने पर!
◆सेना को हथियार मिले तो ग़रीब की थाली पर!
◆ग़रीबों को फ़ोकस में लिया तो सेना के घट रहे बजट पर!
◆कंधार में प्लेन हाइजेक हुआ तो सिसकते परिवारों पर!
◆आतंकवादी छोड़ दिये तो उनके छोड़े जाने पर!
◆आंतकी हमला हुआ तो हमले पर!
◆हमला होने से पहले ही आतंकवादी पकड़ लिये गये तो पकड़े गए ‘निर्दोष’ लोगों पर!
◆सब्जी मँहगी हुई तो गृहणियों के बजट पर!
◆सब्जी सस्ती हुई तो किसानों की दुर्दशा पर!
◆प्याज़ 100 रु हुआ तो थाली के ज़ायके पर!
◆प्याज़ 8 रुपये रह गया तो नासिक के किसानों पर!
◆अरहर 150 रु हो गई तो महंगाई पर और 65 रु रह गई तो फिर किसानों पर
◆पाकिस्तान से बदला ले लिया तो सैनिकों की जान खतरे में डालने पर!
◆बदला न लिया तो देश की सुरक्षा से समझौते पर!
◆GST लग गया तो व्यापारियों पर! GST न लगे तो कर सुधारों पर!
◆रोमियो स्कॉयड बना तो लड़कों के पिटने पर!
◆स्कॉयड ठंडा हो जाये तो लड़कियों के छिड़ने पर!
◆नक्सली जवानों को मार दें तो जवानों पर!
◆पुलिस नक्सलियों को पकड़ ले तो विरोध की स्वतन्त्रता के हनन पर!
◆जामिया में पुलिस एक्शन ले तो एक्शन पर!
◆JNU में एक्शन न ले तो एक्शन न लेने पर!

उनकी ग्रह दशा ही रोने वाली रही है और उन्हें मलाई चाटने को नहीं मिल रही है! उनका जन्म ही लूटने व रोने के लिये हुआ है और उनके कर्म ही रोने वाले हैं!
आगे बढ़िये और रोने वालों पर दया करिये! उनसे बहस मत करिए🙏🙏

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