ये कोरोना नही, प्रलयकाल है। अन्त में जीत हमारी ही होगी – गुरुजी भू

मेरा कहना  व्यर्थ नहीं है। यह कोरोना काल नहीं  सच में  प्रलय काल है। प्रलय काल है। अर्थात इस समय में हम सबको भयंकर बीमारी, विषाणु का,  रोगाणु का सामना करना पड़ रहा है।  हम सब भयग्रस्त भी है। भयग्रस्त भी क्यों ना हो?  सब के काम धंधे बंद हो चुके हैं।  कुछ लोगों के काम बढ़े भी हैं। इस काल में  कुछ व्यापार बढ़े हैं, लेकिन अधिकतम व्यापार, उद्योग धंधे,  छोटे व्यापारी, बड़े व्यापारी, सभी दुखी हैं। उनके काम बंद हुए हैं और आने वाले समय में बेरोजगारी अधिक बढ़ेंगी।  बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी।

 

सचेत होकर नयी योजनाएं बनाओ

अभी भी समय है कि हमें सचेत हो जाना चाहिए। आज से और अभी से  अपने आपको, अपने परिवार को, अपने गांव को, अपनी गली को, अपने मोहल्ले को, अपने क्षेत्र की सुरक्षा के लिए  हमें कदम उठाने हैं।  सबको भोजन मिलता रहे। पहली प्राथमिकता वह सब स्वस्थ रहे उनको स्वास्थ्य सुविधा मिलती रहे। जीवन में किसी भी तरह की जितनी भी कठिनाइयां हैं उनका सब मिलकर संगठित होकर हम सामना करेंगे। तो हम जीत जाएंगे, सफल हो जाएंगे। कोरोना जैसे विषाणु को हराने में भी सफल हो जाएंगे।  सोचने वाली बात यह है कि हमें संगठित होना पड़ेगा। अहंकार शून्य होना पड़ेगा। सहकारिता के मार्ग पर चलना पड़ेगा। यही एकमात्र रास्ता है, मार्ग है। मुझे तो एकमात्र मार्ग इस समय यही दिखाई देता है कि हम सब एक हो जाएं, सचेत हो जाएं और सब एक दूसरे के  सम्मान में, एक दूसरे के स्वास्थ्य के प्रति और एक दूसरे के आर्थिक संकटों के प्रति चिंतित ना हो वरन् उसका चिंतन करें। चिंतन करके समाधान की तरफ बढ़े और समाधान संभव है। असंभव कुछ भी नहीं। अभी हम सब योजनाबद्ध तरीके से संगठित होकर नयी योजनाएं बनाएं। सोचेंगे, अभी हमारा विषय यह है कि बिल्कुल स्वस्थ्य कौन है?  कौन कितना चलेगा? नया विचार क्या होगा? क्या हम अपना झूठा अहंकार छोड पायेगें? सफलता तो तभी मिलेगी।

 

कटु सत्य: 2022 तक मन्दी का अनुमान

सच तो ये है कि 2022 तक मार्केट पिटि सी ही रहेगी।  कुछ-कुछ सेक्टर को छोड़कर बहुत से क्षेत्रों में बहुत से व्यवसाय में उद्योग में भयंकर मंदी का दौर चलने वाला है। अभी व्यापार व्यवस्था सुधरने में समय लगेगा। कोई भी व्यापार वह धीरे-धीरे सुधरेगा। पहले यह रोग समाप्त हो। यह विषाणु समाप्त हो। फिर समाज से भय समाप्त हो। उसके बाद बाजार सुधरने की तरफ बढ़ेगा इस को सुधारने में लगभग 2022 तक का समय लग सकता है। ईश्वर करे जल्दी से जल्दी सुधरे, लेकिन एक अनुमान के अनुसार और समस्त विश्व के व्यापारिक संगठनों और उद्योग संगठनों के अध्ययन के उपरांत हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि अभी बाजार में मंदी का दौर जारी रहेगा। 2022 के बाद यह थोड़ा-थोड़ा उभरने की तरफ चलेगा और फिर से हम आर्थिक पटरी पर तीव्रता से दौड़ पाएंगे ऐसा संभव है, क्योंकि संकट थोड़े दिन का आता है। जब अच्छे दिन नहीं रहे, तो यह बुरे दिन भी नहीं रहेंगे। समाप्त हो जाएंगे लेकिन यह झटका तो लगेगा।यह झटका मध्यम वर्ग को अत्यधिक लगने वाला है।

 

आपदा को अवसर में परिवर्तित करने का सुनहरा समय है।

अगर हमनें अपनी समझ बूझ से काम लिया तो हम इस झटके को, इस आपदा को, बहुत बड़ी विपत्ति को अवसर में परिवर्तित कर सकते हैं। यहांपर हमारी कला व कौशल काम आ सकता है। इसके लिए भारतीय जुगाड़ परंपरा पहले से ही बहुत प्रसिद्ध है। इसलिए मेरा मानना है कि हम लोगों को अपनी अपनी व्यवस्थाएं अपने क्षेत्रों में अपनी मजबूती कर लेनी चाहिए। अपने कमजोर से कमजोर साथियों को भी जोड़ कर हम बहुत बड़ा संगठन बना सकते हैं। संगठनात्मक ढांचा तैयार होने के बाद जब हम सब एक साथ मिलकर कोई काम करेंगे तो विश्व की कोई ताकत, कोई शक्ति ऐसी नहीं जो हमें हरा दे। हम को जीतना ही है। हम जीतने के लिए चल रहे हैं। यह मंदी का दौर बहुत जल्दी ही समाप्त हो ऐसी हमारी कामना है। इसलिए मैं बार-बार कह रहा हूं कि इस आपदा को, विपत्ति को अवसर में परिवर्तित करने का उचित समय है। इस समय हमें हर नए विचार को नए तरीके से, नए व्यापार को नए तरीके से करना चाहिए। संगठित होकर सहकारिता की भावना से किए गए कार्य सफलता की तरफ ले जाएंगे। आपके द्वारा भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।

 

ये मंदी का दौर एक दिन समाप्त होगा ही

मंदी का दौर एक ना एक दिन समाप्त हो जायेगा। 2022 में फिर से तीव्रतम गति से हमारी अर्थव्यवस्था पुनः दौड़ने लगेगी। हम सब सुखद अनुभव करने लगेंगे लेकिन इस बीच में हमको  लक्ष्य आधारित कठिन परिश्रम, त्याग, एकाग्रता और बहुत सारे काम करने होंगे जिससे कि हम सुचारू रूप से चलते रहें। हमें हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठना चाहिए। हमें एकाग्रता से आगे बढ़ने के नए अवसर तलाशते रहना होगा। तभी हम सफलता की तरफ बढ़ेंगे। तभी हम जीत पाएंगे। कोरोना को हारना होगा और मानव को जीतना ही होगा।

श्री गुरु जी भू

( लेखक:  विश्व चिंतक, प्रकृति प्रेमी, मुस्कान योग के प्रणेता, वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव एवं विश्व मित्र परिवार के संस्थापक है)

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