समाजसेवी भूखे आवारा पशुओं को खोज-खोज कर खिला रहे हैं खाना

लॉकडाउन से पहले आवारा पशुओं को सड़क पर या दुकानों के बाहर खाने को मिल जाता था, जिससे वे अपनी भूख मिटा लेते थे।

लेकिन इस बंदी ने उनके भी निवाले पर संकट खड़ा कर दिया है। ऐसी मुश्किल घड़ी में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो भूखे आवारा पशुओं को खोज-खोज कर खाना खिला रहे हैं।

आपदा कोविड-19 के कारण उपजे वैश्विक महामारी के संकट से पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना के इस संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए देश में लॉकडाउन लागू किया गया है।

लॉकडाउन से गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ-साथ बेजुबान और बेसहारा पशु-पक्षियों के लिए भी यह बहुत ही मुश्किल समय है।

लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और ऐसे में इन पशु-पक्षियों को खाना नहीं मिल पा रहा है। सड़क पर घूम रहे बेजुबान जानवरों, कुत्तों , गायों तथा बंदरों की दशा और भी दयनीय हो गई है। इनका जीवन भी संकट में है क्योंकि उनके लिए इस समय भोजन की समस्या है।

लॉकडाउन के दौरान परेशान गरीब, मजदूर और अन्य जरुरतमंदों को तो सरकार के साथ-साथ कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा भोजन व राहत सामग्री मुहैया करवाया जा रहा है, लेकिन भूख से बेहाल बेजुबान जानवरों की सुध लेने वाला कोई नहीं।

ऐसे में इन बेजुबानों की तकलीफ को समझते हुए धर्मेंद्र सिंह यादव, सूरज चौरसिया , कृष्णा तिवारी और उनकी टीम ने बेसहारा जानवरों के लिए एक कदम आगे बढ़ाया है।

धर्मेंद्र सिंह यादव अपने सहयोगी के साथ प्रतिदिन सड़क पर इधर उधर घूम रहे। जानवरों को सब्जी, फल, हरा चारा व अन्य खाद्य सामग्री मुहैया करवा रहे हैं।

जानवरों के ये सच्चे दोस्त उनके लिए लगातार काम कर रहे है और हजारो जानवरों को रोज खाना खिला रहे हैं।

सुंदर नगर के मूल निवासी धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जब काम धंघा बंद हुआ तो सरकार ने दिहाड़ी मजदूर, विकलांग, गरीबों के लिए मदद की घोषणा कि और तमाम सामाजिक संस्थाएं भी उनकी मदद में जुट गईं।

लेकिन बेसहारा जानवर और बंदरों के लिए कोई आगे नहीं आया।वोट के खातिर इंसानों को तो हर राजनीतिक पार्टियां मदद को हाथ बढ़ा देती है।

लेकिन यह बेजुवान वोट नही दे सकते , लेकिन मेरा मानना यह है कि अगर यह वोट नही दे सकते है तो क्या हुआ दुआ तो देंगे बस इसी उद्देश्य के साथ मे सभी लोगो से आग्रह करूँगा की वह भी अपने आस पास जानवरो को कुछ न कुछ भोजन जरूर खिलाते रहे।

इन बे जुबान को भूखा तड़पता हुआ देखा तो मन में आया कि इनका पेट भरने के लिए कुछ करना चाहिए।

इसकी चर्चा जब मेने अपने मित्र और सहियोगियो से की तो उन्होने भी भी तनमन और धन से सहयोग का भरोसा दिया। इसके बाद से ही कुछ अन्य सहयोगियों के साथ इन, बेजुबान जानवरों के भोजन की व्यवस्था करने लगे।

अब प्रतिदिन इन बेजुबानों को भोजन करवाने के बाद ही हम लोग भोजन करते हैं। धर्मेंद्र सिंह यादव ने कहा कि पहले मैं और मेरे पड़ोसी और सहयोगी अपने निजी खर्च से पशुओं के भोजन की व्यवस्था करते थे।

लेकिन अब इस नेक कार्य मे जिले के कई गणमान्य नागरिकों के उत्साहवर्धन से लाकडाउन के दूसरे दिन से ही नगर क्षेत्र के लगभग सभी बेसहारा पशुओं के भोजन की व्यवस्था की जा रही है।

उन्होने बताया कि पनकी, कल्याणपुर, सचेंडी, दादा नगर से पनकी रोड, पर घूम-घूम कर बेसहारा जानवरों, कुत्तों , गायों और बंदरों को ब्रेड, बिस्कुट, रोटी, चने, हरा चारा, सब्जी और फल खिलाकर उनका पेट भरने का प्रयास किया जाता है।

हर दिन अपने घर से निकल कर रास्ते में हजारो जानवरों का पेट भरते हैं। इनमें कुत्ते, बन्दर ,गाय, भैंसों समेत अन्य जानवर शामिल हैं। ईश्वर की इच्छा तक उनका यह कार्य चलता रहेगा।

आज के समय में ज़रूरत है कि हम सब मिलकर एक-दूसरे की ताकत बनें और साथ ही, इन बेजुबानों का भी ख्याल रखें। इस मुश्किल वक़्त को हम सब अपनी इंसानियत से ही हरा सकते हैं।

उन्होंने समाज के सक्षम लोगों से अपील किया है कि कोई भी इंसान अथवा जानवर भूखा मिले तो उसे भोजन अवश्य कराएं।

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