अमेरिका के आविष्कारक क्रिस्टोफर कोलंबस सोने की तलाश में भारत आना चाहते थे, लेकिन रास्ता भटक गए और गलती से अमेरिका पहुंच गए। 1729 में ईरान के नादिर शाह ने भारत से इतना सोना लूटा कि तीन साल तक ईरान के लोगों को एक पाई के बराबर टैक्स नहीं देना पड़ा।
भारत में सोना न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक जरूरतों और रीति-रिवाजों का भी हिस्सा है। सोना भी विरासत में मिली पैतृक संपत्ति का एक हिस्सा है। यहां तक कि भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में भी सोने के आभूषण और कीमती आभूषण चढ़ाए जाने के कारण करोड़ों की संपत्ति अर्जित की जाती है।
अमेरिका और चीन समेत 8 बड़े देशों के केंद्रीय बैंकों के पास भारतीयों के जितना सोना नहीं है। एक अनुमान के अनुसार भारत के लोगों के पास 22500 टन सोना है। इस सोने की कीमत 1.4 ट्रिलियन यानि करीब 107 लाख करोड़ रुपये है।
सोने की यह मात्रा भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 45% है। 2021-22 में भारत की जीडीपी 232.15 लाख करोड़ रुपये थी। दुनिया के किसी भी देश के पास इतना सोना नहीं है जितना कि औसत भारतीय महिला के पास है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, यूएस फेडरल रिजर्व के पास 8133.47 टन सोने का भंडार है। दूसरे स्थान पर 3358.50 टन के साथ जर्मनी, 2301.64 टन के साथ रूस और 1948.31 टन के साथ चीन है। भारतीय रिजर्व बैंक के पास 760. 40 टन सोने का भंडार है।
भारत उतने सोने का उत्पादन नहीं करता जितना उसे चाहिए, इसलिए वह सोने का आयात करता है। 2020 में भारत ने 651.24 टन आयात करते हुए 1.6 टन सोने का उत्पादन किया। चीन के बाद दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा मांग भारत में है।