परिवर्तन सृष्टि का मूल नियम है, समाधान अभी सम्भव – गुरुजी भू

 

आज सामाजिक न्याय हेतु परिवर्तन की अत्यधिक आवश्यकता है। वैसे भी परिवर्तन सृष्टि का मूल नियम है।  हम नही समझे तो प्रकृति ने समझा दिया है। समाज में फैली हुई कुरीतियां और बुराइयां इतनी बढ़ चुकी है कि वह मानव को मानवीय मूल्यों से दूर करती जा रही है। अराजकतावादी ताकते मानवीय संवेदनाओं को अस्तित्व हीन बनाती जा रही हैं।

विश्व में विकास के नाम पर हो रहे विनाश से लड़ने हेतु आज मानवीय मूल्यों को पुनः जागृत करना अनिवार्य हो गया है।
हम प्रकृति का सम्मान करना भूलते जा रहे हैं। नित्य प्रति हर पल प्रकृति का शोषण करते हैं। पर्यावरण का ध्यान नहीं रखते। पेड़ों को काटते जा रहे हैं। जल को निरर्थक बहाते जा रहे हैं। प्रकृति व पर्यावरण का संरक्षण वृक्षारोपण और सभी जीवो का संरक्षण हर मानव का कर्तव्य है। आज अत्यधिक सचेत होने का समय है। प्रकृति के प्रति अगर आज सचेत नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी क्षमा नहीं करेंगी। इसलिए आज की प्रमुखता को ध्यान में रखते हुए हमें आज से और अभी से सचेत होना है। प्रकृति का सम्मान करना है। प्रकृति, पर्यावरण, जल, जंगल एवं हर जीव का संरक्षण करना हमारा परम कर्तव्य है। इसी आधार पर हमें इस उपवन अन्तर्गत कार्य करने में अत्यंत प्रसन्नता होगी।

जब जागो तभी सवेरा, अभी देर नहीं हुई है। हम सबको मिलकर इस प्रकृति उपवन के अंतर्गत समाज के सभी दोषो को दूर करके, अपने अहंकार को छोडकर, प्रकृति, पर्यावरण, जल, जंगल, जीव संरक्षण में अपनी भूमिका निभाते हुए मानव के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर इस महान कार्य को लक्ष्य तक पहुंचाना है।

आशा है सभी साथी मेरी इस बात से सहमत होंगे।

गुरुजी भू
(प्रकृति प्रेमी)

SHARE