“ताना जी” फ़िल्म लगभग हम सबने देखी है…!
जिसमें… ताना जी, गोंधाना के किले को वापस पाने हेतु जब गोंधाना किले पर हमला करते हैं तो ताना जी की वीर मराठा सेना…. औरंगजेब के किलेदार ..उदयभान सिंह की सेना पर भारी पड़ रहे थे और तेजी से उसका सफाया कर रहे थे…!
कहा जाता है कि जब इस बात की खबर औरंगजेब को दी गई और उससे और अधिक सैनिक भेजने की मांग की गई तो…
इस मांग पर औरंगजेब हँसने लगा और बोला…
मरने दो… दोनों तरफ़ के चाहे जितने भी सैनिक मरें… मर तो रहे हैं “काफ़िर” ही.
अगर काफ़िर… आपस में लड़कर खुद ही मर रहे हैं तो हमें क्या दिक्कत है.
आज इस प्रसंग को उल्लेखित करने की जरूरत इसीलिए पड़ गई कि…
आज इतिहास अपने आपको दुहरा रहा है.
आप सबको ये मालूम है कि…. हाथरस की घटना में PFI और विदेशी फंडिंग की बात सामने आई है.
जिसका मकसद उत्तरप्रदेश समेत अन्य राज्यों में जातीय हिंसा भड़काना था.
अब इसे ठीक से समझें …
जातीय हिंसा मतलब क्या हुआ ???
हिन्दू समाज के ही दो धड़ों के बीच हिंसा…!
इसे कोई भी दो धड़ा मान लें…
चाहे राजपूत और शूद्र(दलित),
या फिर, ब्राह्मण या वैश्य.
क्योंकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
फर्क ये पड़ता है कि…. अगर हिन्दू समाज के दो धड़ों के बीच हिंसा होगी तो मरेगा कौन ???
चाहे किसी भी धड़े की जान जाए वो होगा हिन्दू ही.
अगर, हिन्दू समाज के दो धड़ों के बीच हिंसा होगी तो बिखराव आएगी किसमें ??
अगर, हिन्दू समाज के दो धड़ों के बीच हिंसा होगी तो कमजोर होगा कौन ???
👉 और, ये हिंसा फैलाने की साजिश और फंडिंग कौन कर रहा था ???
PFI अर्थात… आतंकी सुवर समुदाय का संगठन.
शायद अब समझ आ गया होगा लेख के शुरुआत में “ताना जी” का प्रसंग क्यों बताया था.
और, शायद अब ये भी समझ आ गया होगा कि… अब दुश्मनों की स्ट्रेटर्जी क्या है ???
अब देश में बदले हुए माहौल और दिल्ली एवं बंगलोर हमले के बाद देश का मिजाज भांपने के बाद उन्होंने अपनी स्ट्रेटर्जी उन्होंने थोड़ी बदल ली है.
अब वो सीधे आपके सामने नहीं आ रहे हैं बल्कि आपके जातिगत अहम को संतुष्ट करने का खेल कर रहे हैं.
आज वे शूद्र(दलित) को राजपूत से लड़ने के लिए उकसा रहे हैं…
कुछ समय पहले… विकास दुबे प्रकरण में… ब्राह्मणों को राजपूत के खिलाफ भड़का रहे थे.
इसीलिए… अब मर्जी आपकी है कि
आप अपने दुश्मनों को पहचानते हैं या फिर राक्षसों के मोहिनी अस्त्र के प्रभाव में आकर अपने ही लोगों के बीच मार काट मचाना प्रारंभ कर देते हैं…!
#रितेश जागले