गोविंदा और उनकी बेटी टीना के ख़ूबसूरत रिश्ते को कैमरे में कैद करना, बना...
भावनाओं को दिखाने वाली तस्वीर से खूबसूरत कुछ भी नहीं :
गोविंदा-टीना के फोटोशूट पर शिवम दुआ
किसी ने सही कहा है - "एक अच्छी तस्वीर दर्शक की भावनाओं को जगाने और उसे मोहित करने का दम रखती है|अपनी एक यात्रा को याद करते हुए, शिवम दुआ ने आज तक के अपने करियर के सबसे खूबसूरत फोटो शूट के बारे में बताया और कहा की यह फोटोशूट दिग्गज अभिनेता गोविंदा और उनकी बेटी टीना आहूजा का था, जिन्होंनेमिलकर एक पत्रिका के कवर के लिए एक साथ तस्वीर खिंचवाई थी । गोविंदा और उनके परिवार को बहुत लंबे समय से जानने के कारण उन्होंने बताया - यह पहली बार हो रहा था जब गोविंदा और उनकी बेटी एक साथ फोटोशूटकरा रहे थे|
शिवम ने कहा, '' यह मेरे जीवन की सबसे खास शूटिंग में से एक थी, बाप-बेटी के रिश्ते की भावनाओं और प्यार को जिस तरह से तस्वीरों में उतारा गया था, उससे दर्शक उस लम्हे की पूरी कहानी, तस्वीर देखकर ही भांप सकते थे|
इस शूटिंग के दौरान उन्हें लाइटनिंग, बैकग्राउंड और एडिटिंग पर ज्यादा काम नहीं करने पर शिवम ने कहा - "जैसा कि मैंने कहा, एक रिश्ते की चिंगारी एक तस्वीर को बहतरीन बनाने के लिए पर्याप्त है। गोविंदा और टीना के साथकाम करते हुए, मुझे प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन के काम में शायद ही कोई मेहनत करनी पड़ी थी। और यह फोटोशूट बिना किसी कमी के मेरा बेस्ट फोटोशूट बनकर सामने आया ।
कैमरे के पीछे के व्यवहार को बताते हुए, शिवम् ने कहा- '' गोविंदा एक ऐसे स्टार है जो अपनी उच्चाइयों को पाने के बाद भी ज़मीन से जुड़े हुए है| जिन्होंने मुझे मेरी इच्छा के अनुसार काम करने के लिए पर्याप्त जगह और स्वतंत्रतादी। लोगों को उनके बारे में गलतफहमी है कि वह दखलअंदाज़ी और शासकीय व्यवहार वाले अभिनेता है, मुझे उनके साथ काम करते हुए एक पल के लिए भी कभी ऐसा नहीं लगा।"
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अगर बड़े पैमाने पर होती रिलीज़ तो निश्चित ही करती कलंक से बहतर बिज़नेस : ‘द ताशकेंत फाइल्स’ म्यूजिक कंपोजर
कलंक और एवेंजर्स एंडगेम जैसी मल्टी-स्टारर बड़े बजट प्रोजेक्ट्स के साथ 'द ताशकेंत फाइल्स ’की रिलीज़ को फिल्म ट्रेड विश्लेषकों द्वारा पहले एक बुरा निर्णय माना गया था, लेकिन फिल्म कीसफलता ने सभी विरुद्ध विश्लेषणों को ही गलत साबित कर दिया।
फिल्म कलंक की तुलना में केवल छह प्रतिशत अर्थात 250 स्क्रीन होने के बावजूद द ताशकेंत फाइल्स ने पहले चार हफ्तों में ही लगभग 14.35 करोड़ रुपये की कमाई कर ली। फिल्म के बैकग्राउंडस्कोर संगीतकारो सत्या-मानिक-अफसर की तिकड़ी का मानना है कि अगर द ताशकेंत फाइल्स को एक बड़े पैमाने पर रिलीज़ किया गया होता तो निश्चित ही यह फिल्म कलंक से कहीं बेहतर मुकामहासिल करती |
मानिक बत्रा का कहना है कि, "हर वीकेंड पर सिनेमाघरों में हमारी फ़िल्म को देखने के लिए आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या इसकी सफलता का प्रमाण है| दर्शकों को जिस मजबूत और वास्तविककंटेंट की तलाश थी उन्हें वह सब हमारी फिल्म में देखने को मिला और यही कारण है कि कम स्क्रीन के बावजूद 'द ताशकेंत फाइल्स' ने बहुत अच्छा काम किया।
'' क्या बॉक्स ऑफिस कलेक्शन असल सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण है? इस बात पर टिप्पणी करते हुए मानिक (जिन्होंने अपनी टीम के साथ आज तक लगभग 30 टेली-सीरीज़ के लिए बैकग्राउंडस्कोर दिया है) ने कहा, “एक अच्छी कहानी और शानदार प्रदर्शन वाली फिल्म दर्शकों के साथ-साथ निश्चित रूप से आलोचकों द्वारा भी सराही जाती है ।, लेकिन हम इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं करसकते कि बॉक्स ऑफ़िस भी फिल्म की आलोचनात्मक वाहवाही के जितना ही महत्वपूर्ण है और हमसे भी ज्यादा यह फिल्म के निर्माताओं और फाइनेंसरों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे जितनाज्यादा कमाएंगे, फिल्म जगत में शामिल सभी लोगो को उतना ही ज्यादा काम मिलेगा|
सत्या-मानिक- अफसर की प्रसिद्ध तिकड़ी फिल्म 'खामोशी' में एक नए गीत और फिल्म 'कोलायथिर कलाम' के तमिल वर्जन के साथ जल्द ही दर्शको के सामने आने वाली है। फिल्म का निर्देशनचकेरी टोलेटी द्वारा किया गया है और दोनों फिल्मों में अलग-अलग स्टार कास्ट की गयी है| फिल्म 31 मई को रिलीज होगी।
संकल्प बडा हो तो सफलता निश्चित है।
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न्यूयॉर्क बनेगा असमिया सिनेमा के पुनरुज्जीवन का गवाह : शाहनाब आलम
न्यूयॉर्क बनेगा असमिया सिनेमा के पुनरुज्जीवन का गवाह :शाहनाब आलम
नए युग के प्रतिभाशाली फिल्मनिर्माताओं द्वारा अपने अनूठेऔर वास्तविक कंटेंट को सामनेलाने के साथ, असमिया सिनेमापु के दौर से गुजर रहा है जिसने70 और 80 केदशक के दौरान अपना उमंगभरा समय देखा था , विशेषकरतब जब लगभग छः वर्षो तकअधिकांश राष्ट्रीय पुरस्कारजाहनू बरुआ और भाबेंद्र नाथसैकिया के बीच ही बांटे गए थे।
अपनी आखिरी फिल्म के बादसे लगभग पांच साल केअंतराल के बाद जब जाहनूबरुआ ने एक और फिल्म बनानेके लिए तैयार हुए तब उन्होंनेअसमिया सिनेमा के इसपुनरुत्थान में शक्ति को जोड़नेके लिए मुंबई से प्रियंका चोपड़ाऔर शाहनाब आलम जैसेप्रमुख फिल्म निर्माताओं कोएक साथ जोड़ा जिन्होंने 'भोगाखिरिके' के निर्माण में अपनीकंपनियों पर्पल पेबल पिक्चर्स(प्रियंका चोपड़ा) और ईस्टरलीएंटरटेनमेंट ( शाहनाब आलम)सहित ख़ासा योगदान दिया|
उम्मीद के अनुसार, फिल्म पहलेही उचित ध्यान बंटोरकरआधिकारिक तौर पर 19 वेंन्यूयॉर्क इंडियन फिल्मफेस्टिवल (एनवाईआईएफएफ)के लिए चुनी जा चुकी है| साथही असम के कुछ कुशलआधुनिक फिल्म निर्माताओंद्वारा बनाई गई दो अन्य फीचरफिल्मों और एक डॉक्यूमेंट्री ।इतना ही नहीं बल्कि दो औरअंतर्राष्ट्रीय फेस्टिवल्स के लिएपहले ही 'भोगा खिरिके' को लेकर रोचनात्मक बातें सामनेआ चुकी है ,जिनके लेकर जल्दही घोषणाएं की जायेंगी|
ग़ौरतलब है कि जाहनू बरुआद्वारा निर्मित फिल्मों को बारह राष्ट्रीय पुरस्कार दिये जा चुके है,और उनके सिनेमा को कईप्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीयविश्वविद्यालयों में अध्ययनसामग्री के तौर पर दिया जाताहै, इतना ही नहीं इन्हीविश्वविद्यालयों में से एमआईटी,हार्वर्ड, यूसीएलए संयुक्त राज्यअमेरिका और स्विटज़रलैंड के फ़ोरबर्ग विश्वविद्यालय में उन्हेंछात्रों के साथ बातचीत करने केलिए आमंत्रित किया जा चुकाहै। भारत में सिनेमा के 100वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मेंभारत के फिल्म अभिलेखागारद्वारा संकलित दस सबसे महत्वपूर्ण फिल्मो की सूची मेंजाहनू बरुआ की प्रसिद्ध फिल्म' हालोधिया चौरे बुधनी खाय'भी शामिल है
ऐसा पहली बार हुआ है किसी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में आसामी फिल्म निर्माता द्वारा बनाई गई चार फिल्मों को एक साथ प्रदर्शित जा रहा है
जिसके तहतएनवाईआईएफएफ 2019 केलाइनअप में जाहनू बरुआ द्वारा'भोगा खिरिके', भास्करहजारिका द्वारा रीमा दास द्वारा'बुलबुल कैन सिंग', 'आमिस'और मुंबई से जुड़े एकअसमिया डॉक्यूमेंट्री फिल्मनिर्माता रूपा बरुआ कीडॉक्यूमेंट्री 'डॉटर्स ऑफ द पोलोगॉड' को शामिल किया गया हैं।
“निःसंदेह यह इस बात कासंकेत है कि वर्तमान समय मेंअसमिया सिनेमा मास्टर ऑटर(जाहनू बरुआ) और सभी युवाप्रतिभाओं के साथ मिलकरआसमीय सिनेमा के पुनरुत्थानको सशक्त बना रहा है।
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